Covid-19 impact on session : इस बार एक साथ बुलाया जा सकता है पार्लियामेंट का बजट और शीतकालीन सत्र
राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 (Covid-19) के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर यह विचार किया जा रहा है कि अलग-अलग शीतकालीन (Winter session) और बजट सत्र (Bdget session) के बजाए एक बार ही संसद के विस्तारित सत्र का आयोजन किया जाए. सूत्रों ने सोमवार को इस बारे में बताया कि हालांकि, अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है और आरंभिक स्तर पर ही चर्चा चल रही है. अंतिम निर्णय लिया जाना बाकी है, लेकिन ऐसे सुझाव आए हैं कि छोटी अवधि में दो सत्र के स्थान पर एकीकृत सत्र (Combined session) का आयोजन किया जाए.
Covid-19 impact on session : राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 (Covid-19) के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर यह विचार किया जा रहा है कि अलग-अलग शीतकालीन (Winter session) और बजट सत्र (Bdget session) के बजाए एक बार ही संसद के विस्तारित सत्र का आयोजन किया जाए. सूत्रों ने सोमवार को इस बारे में बताया कि हालांकि, अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है और आरंभिक स्तर पर ही चर्चा चल रही है. अंतिम निर्णय लिया जाना बाकी है, लेकिन ऐसे सुझाव आए हैं कि छोटी अवधि में दो सत्र के स्थान पर एकीकृत सत्र (Combined session) का आयोजन किया जाए.
कोरोना के चलते मानसून सत्र की अवधि में की गई थी कटौती
संसद का शीतकालीन सत्र (Winter Session of Parliament) आमतौर पर नवंबर के अंतिम सप्ताह या दिसंबर के पहले सप्ताह में शुरू होता है, जबकि बजट सत्र जनवरी के अंतिम हफ्ते से शुरू होता है और एक फरवरी को आम बजट (Union budget) पेश किया जाता है. महामारी (Pandemic) के बीच 14 सितंबर से आहूत मानसून सत्र (Monsoon session) की अवधि आठ दिन कम कर दी गयी थी और 24 सितंबर को सत्र समाप्त हो गया.
बजट सत्र की अवधि में भी की गई थी कमी
मानसून सत्र के दौरान कोविड-19 से निपटने के लिए प्राधिकारों ने व्यापक व्यवस्था की थी, लेकिन कई सांसद और संसद के कर्मचारी कोरोना वायरस से संक्रमित हुए. मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा में बैठक व्यवस्था (Seating Arrangement) में भी बदलाव किया गया और सदस्यों के बैठने के लिए दोनों चैंबरों और गैलरियों का इस्तेमाल हुआ. कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) के खतरे के कारण इस साल बजट सत्र की अवधि भी कम कर दी गयी थी.
दो सत्रों को मिलाने पर नहीं होगा कानून का उल्लंघन
लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य ने कहा कि एक साल में संसद का तीन सत्र आयोजित करने की परंपरा है. यह कोई नियम नहीं है. संविधान के मुताबिक, संसद दो सत्रों के बीच छह महीने या ज्यादा का अंतराल नहीं होना चाहिए. आचार्य ने कहा कि अगर संसद के दो सत्रों को समाहित कर दिया जाए और इस साल केवल दो सत्रों का आयोजन हो, तो इससे किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं होगा.
दिल्ली में दोबारा बढ़ने लगे कोरोना के मामले
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना के मामलों ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ लिया है. पिछले सप्ताह बुधवार को कोविड-19 के सबसे ज्यादा 8593 मामले आए थे. पिछले 5 महीने में सबसे ज्यादा गुरुवार को 104 लोगों की मौत हो गई थी. संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी के बाद केंद्र ने रविवार को घर-घर सर्वेक्षण करने समेत कई कदमों की घोषणा की.
Posted By : Vishwat Sen