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COVID-19 in India : लॉकडाउन में बच्चों और किचन तक सिमट गयीं कामकाजी महिेलाएं, 10 में से चार की गयी नौकरी

COVID-19 in India, Locked down affected women employment increse in household work : कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया बेपटरी हो गयी है,ऐसे में उन वर्किंग वूमेन की दुनिया कैसी है जो घर और बाहर की दोहरी जिम्मेदारी उठा रही हैं? यह सवाल इसलिए लाजिमी है क्योंकि कोरोना महामारी के दौरान वर्किंग वूमेन को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है.

कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया बेपटरी हो गयी है,ऐसे में उन वर्किंग वूमेन की दुनिया कैसी है जो घर और बाहर की दोहरी जिम्मेदारी उठा रही हैं? यह सवाल इसलिए लाजिमी है क्योंकि कोरोना महामारी के दौरान वर्किंग वूमेन को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है.

कोरोना महामारी के दौरान महिलाएं घरेलू कामकाज में कुछ ज्यादा ही समय दे रही हैं और उनकी दिनचर्या बच्चों की देखभाल और किचन तक सिमटकर रह गयी है. हालांकि कोरोना काल में स्त्री-पुरूष दोनों ही घरेलू कामकाज में ज्यादा समय दे रहे हैं, लेकिन भारतीय समाज में महिलाओं के लिए यह समय ज्यादा ही कठिन है.

यह एक सच्चाई है कि कोरोना के दौरान देश में हजारों लोगों की नौकरी गयी है, हालांकि इसका कोई स्पष्ट डाटा अभी मौजूद नहीं है, लेकिन बताया जा रहा है कि विश्व में सौ मिलियन पुरुषों और 17 मिलियन महिलाओं की नौकरी गयी है. चूंकि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के काम करने का प्रतिशत काफी कम है, इसलिए प्रतिशत में अगर देखें तो 29 प्रतिशत पुरुष बेरोजगार हुए हैं, जबकि महिलाओं में यह संख्या 39 प्रतिशत है.

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यूके में हुए रिसर्च में यह बात सामने आयी है कि महिलाएं जिन क्षेत्रों में काम करती हैं उनपर असर पड़ा है, खासकर हॉस्पिटिलिटी, रिटेल और पर्यटन के क्षेत्र में यह असर ज्यादा देखा गया है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार पूरे विश्व में 10 में से चार महिला की नौकरी अब नहीं रही है. हालांकि जितनी नौकरियां कोरोना काल में गयी हैं, उनमें से कई वापस आ जायेंगी, लेकिन महिलाओं की नौकरी के बारे में यह नहीं कहा जा सकता है कि उन्हें नौकरी वापस मिलेगी.

सीएमआईई के आंकड़ों के अनुसार कामकाजी महिेलाएं कोरोना काल में घरेलू कामकाज पर ज्यादा समय दे रही हैं. वे बच्चों की देखभाल में बहुत ज्यादा समय दे रही हैं. एक आनलाइन सर्वे के अनुसार लॉकडाउन से पहले 55 प्रतिशत महिलाएं खाना बनाने का काम करती थीं, जो लॉकडाउन के दौरान 79 प्रतिशत हो गया. यह सर्वे आईआईटी दिल्ली और अमेरिका की यूनिवर्सिटी में काम करने वाली दो महिला प्रोफेसर ने आयोजित की थी. यह सर्वे शहरी क्षेत्र में आयोजित किया गया था. कुकिंग में जो महिलाएं अपना समय दे रही हैं वे पहले यह काम पैसे देकर कुक से कराती थीं.

भारतीय समाज में घरेलू काम अवैतनिक होता है और उसकी गिनती रोजगार में होती भी नहीं है. ऐसे में यह बताना बहुत जरूरी है कि महिेलाओं ने इसी अवैतनिक काम में अपना ज्यादा समय दिया. जिसके कारण उनपर दोहरा भार पड़ा.

यहां गौर करने वाली बात यह है कि जो महिलाएं इस लॉकडाउन में भी काम करती रहीं, उनपर दोहरी मार पड़ी. उन्हें एक तो वेतन के लिए काम करना पड़ा और दूसरे उनके पास अवैतनिक काम भी बहुत थे. उन्हें अपने घर और कपड़े को भी वायरस मुक्त करने के लिए काफी समय देना पड़ा है.

Posted By : Rajneesh Anand

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