कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए पहले जनता कर्फ्यू लगाया गया. फिर 31 मार्च तक कुछ जिलों को लॉकडाउन किया गया, लेकिन अब पूरा भारत 21 दिनों के लिए लॉकडाउन है. वैश्विक महामारी बने कोरोना वायरस से लड़ने की ये सबसे बड़ी जंग है. इसमें सहभागिता देश की जनता की है जो इसको सफल या असफल बना सकती है. आपको यहां पर ये भी बता दें कि देश में इसके मरीजों की संख्या बुधवार को खबर लिखने तक 562 हैं. इनमें से 40 ठीक हो चुके हैं, वहीं 10 की मौत हो गयी है. सवाल है कि 21 दिनों का लॉकडाउन क्यों. तो हम आपको बता दें कि पिछले दो पखवाड़े में 64 हजार के करीब भारतीय और विदेशी यहां आए हैं. यह बीमारी बाहर से ही भारत आई है, ऐसे में उनका लौटना खतरे की घंटी जैसा है.
21 दिन का लॉकडाउन लगाने के पीछे सरकार की मंशा यही है कि बाहर से आए अगर किसी को कोरोना है भी तो वह उसे फैला न पाए. इस दौरान जिसमें लक्षण आने होंगे 14 जिन में दिख जाएंगे. उनका इलाज भी शुरू हो जाएगा वहीं जो पहले से पॉजिटिव हैं उनका भी इलाज पूरा हो जाएगा. आईसीएमआर प्रमुख बलराम भार्गव बताते हैं कि इसलिए कोरोना फैलने की चेन को तोड़ने के लिए लॉकडाउन किया गया है. फिलहाल देश में 1,87,904 लोगों को देखरेख में अलग रखा गया है. कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग ही एकमात्र उपाय है. बहरहाल, लॉकडाउन में 21 दिनों तक चलने वाली जंग में देशवासियों के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं, जिनका सामना हर हाल में करना ही होगा.
सबसे बड़ी चुनौती है कि इन 21 दिनों के दौरान जरूरी सेवाओं और चीजों की आपूर्ति. इसमें सबसे बड़ी समस्या ये है कि सरकार ने लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने की भी हिदायत दी है. साथ ही ये भी कहा है कि ये जनता कर्फ्यू से भी ज्यादा कड़ा होगा. ऐसे में पुलिस और प्रशासन लोगों को उनकी जरूरी चीजों को लेने के लिए घरों से बाहर निकलने की इजाजत देगा भी या नहीं. यदि नहीं तो ऐसे में लोगों के मन में भय और आशंकाएं पनप सकती हैं जो रोष की वजह बन सकती हैं. सरकार के सामने चुनौती है कि वह ऐसा न होने दे और अपना विश्वास जनता पर बनाए रखे. चुनौती ये भी है कि तय समय में बाजार से सामान घर तो आ जाएगा मगर बाजार में सामान कहां से आएगा.
सरकार को इस बात का अंदाजा है कि भारत में छाई ये वैश्विक महामारी का देश की अर्थव्यवस्था पर कितना बुरा प्रभाव होने वाला है. इसका प्रभाव शुरू भी हो चुका है. समय के साथ इसकी भरपाई करना और अपने को मजबूत अर्थव्यवस्था बनाए रखना सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती है. प्राइवेट सेक्टर और असंगठित उद्योंगों पर बहुत बड़ा असर पड़ना तय है.
इन 21 दिनों के दौरान न सिर्फ अपने घरों में रहना है बल्कि अपने बच्चों की पढ़ाई पर भी पहले की ही तरह ध्यान देना है. कोरोना का संकट ऐसे समय में भारत में आया है जब लाखों छात्रों के बोर्ड एग्जाम चल रहे थे. लेकिन इनको बीच में ही रोक देना पड़ा. लेकिन इसके बाद भी बच्चों को आने वाले दिनों के लिए तैयार करने की जिम्मेदारी उनके मां-बाप की है. साथ ही उन बच्चों को घर में पूरा समय देने की भी जिम्मेदारी और चुनौती है जो स्कूलों में अपनी इस बार पहली शुरूआत करने वाले थे. लॉकडाउन से पहले से ही स्कूल और कॉलेज बंद हैं. ऐसे में जब बड़े अंतराल के बाद स्कूल कॉलेज खुलेंगे तो कम समय में कोर्स को पूरा करने की चुनौती मुंह बाए खड़ी रहेगी.
सरकार के सामने ये भी चुनौती है कि वो इन 21 दिनों के दौरान जितनी जल्दी हो सके स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूत करे. हालांकि पीएम मोदी ने इसके लिए राज्यों को निर्देश देने की बात अपने संबोधन में कही है साथ ही उन्होंने पैकेज की भी बात कही है. घर में रहने के बाद छोटी- मोटी बीमारी होने पर अस्पताल जाया जा सकता है. सरकार के सामने इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती ये भी है कि वो इसकी दवा को बनाने की हर संभव कोशिश करे. साथ ही लोगों को सलाह भी दे कि यदि उन्हें बुखार, खांसी और जुकाम हो तो वो किस दवा का प्रयोग करें.
भारत में अफवाहें काफी तेजी से फैलती है. देश में ऐसी संख्या बहुतायत है जो सच और झूठ में फर्क नहीं कर पाते. इन 21 दिनों के दौरान देशवासियों को अफवाहों को न सिर्फ नजरअंदाज करना होगा बल्कि दूसरों को भी इनके प्रति जागरुक करना होगा. ये अफवाहें देश में दहशत का माहौल बना सकती हैं. ऐसे मुश्किल समय में कोई भरोसा नहीं कि कौन सी फर्जी सूचना सोशल मीडिया पर वायरल हो जाए.
इन 21 दिनों के अंदर हर किसी को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि यदि आपके आस-पास कोई भी ऐसा व्यक्ति नजर आए जो इसके लक्षणों से ग्रसित दिखाई दे तो उसकी जानकारी हेल्पलाइन नंबर पर जरूर दें. साथ ही उस परिवार को भी सलाह दें कि वे उक्त व्यक्ति को डॉक्टर के पास लेकर जाएं. लेकिन ध्यान रखना होगा कि ऐसा करते हुए आपके हाव-भाव उसकी मदद के हों. अगर संदिग्ध व्यक्तियों को नजरअंदाज किया गया तो शायद कोरोना थम नहीं पाएगा.
पीएम मोदी ने अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में साफ कर दिया है कि इन 21 दिनों में यदि हम सफल हुए तो खुद को अपने परिवार को और अपने समाज को बचा लेंगे और यदि असफल रहे तो कई परिवारों को खो भी देंगे.
08- पीएम मोदी ने सोशल डिस्टेंसिंग को इससे बचाव का सबसे सुलभ उपाय बताया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) भी कह चुका है कि कोरोना के प्रसार के सोशल डिस्टेंसिंग से रोका जा सकता है. लिहाजा अपनों की खातिर और समाज की रक्षा के लिए इसको बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी बनती है. बिना जरूरत ना निकलें और ना ही घर से किसी को निकलने दें.
इन 21 दिनों के दौरान सरकार को देश के कई छोटे बड़े शहरों, कस्बों में इस बीमारी की जांच के लिए जरूरी सुविधा मुहैया करवानी होगी. ये सरकार के समक्ष एक बड़ी चुनौती होगी. जिस तरह से देश में कोरोना फैल रहा है तो ऐसे में हमारी लापरवाही इसको और भयंकर रूप दे सकती है. ध्यान रहे ये खतरा भी बड़ा है और इससे निपटने की चुनौतियां भी बड़ी ही होंगी.
इन 21 दिनों के दौरान हमारे सामने सरकार के सामने कई तरह की समस्याएं आएंगी. लेकिन इनसे घबराना नहीं है, संयंम और संकल्प के साथ हम सभी को आगे बढ़ना होगा और दूसरों की मदद को भी हाथ बढ़ाना होगा. आपको ध्यान रखना होगा विश्व स्वास्थ्य संगठन और दुनिया के कई देश भारत की तरफ बड़ी उम्मीद लगाए हुए हैं. डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा है कि यदि भारत इस पर काबू पा सका तो इसकी रोकथाम करनी आसान होगी. ऐसे में उस विश्वास को बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी बनती है.
इन 21 दिनों में इस बात को भी ध्यान रखना होगा कि जो लोग इस वैश्विक महामारी से लड़ रहे हैं उनके मार्ग को हम बाधित न करें. उनका और उनके द्वारा बताई गई हर बात का हम सम्मान करें. हम सभी के सामने इस वक्त चुनौती है कि लापरवाह न बनें और समाज और देश को स्वस्थ्य रखने में अपना भरपूर योगदान दें. साथ ही हर देशवासी के बेहतर स्वास्थ की कामना करें.