भारत सहित दुनिया भर में लोग त्योहार मना रहे हैं. इसके साथ ही लोग अब कोरोना महामारी के साथ जीना भी सीख रहे हैं. साथ ही कोरोनोवायरस बीमारी के मामले भी बढ़ रहे हैं और अधिक से अधिक लोग कोविड -19 निगेटिव सर्टिफिकेट के साथ कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं. पर अब सवाल यह सामने आता है कि क्या कोविड-19 सर्टिफिकेट होने से कोरोना का प्रसार नहीं होगा, क्योंकि इसकी कोई गारंटी नहीं है.
वैज्ञानिक इस बात से बिल्कुल भी सहमत नहीं हैं और कहते हैं कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि एक निरेगिव रिपोर्ट सुरक्षित होगी. बल्कि, वे जोड़ते हैं, यह झूठी उम्मीद पैदा करता है. इसलिए, वे कहते हैं कि यह सलाह दी जाती है कि एक व्यक्ति जो SARS Cov -2 से संक्रमित हो चुका है, उसे भी एहतियाती उपाय बरतने चाहिए औप अनिवार्य दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए.
जॉर्जटाउन सेंटर फॉर ग्लोबल हेल्थ साइंस से संबद्ध वायरोलॉजिस्ट डॉ एंजेला रासमुसेन ने कहा कि “आपको व्यक्तिगत रूप से सुरक्षित रूप से सामाजिक परीक्षण करने के लिए परीक्षण परिणामों पर भरोसा नहीं करना चाहिए. एक परीक्षण केवल आपको यह बता सकता है कि क्या आप किसी निश्चित समय में सकारात्मक हैं, और ऐसे मामलों का पता लगाने में भी विफल हो सकते हैं यदि आप संक्रमित हैं, और संक्रमण फैला रहे हैं तब क्या होगा.
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वायरस से संक्रमित व्यक्ति वास्तव में वायरल बीमारी के लक्षण दिखा सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि परीक्षण परिणाम शरीर में वायरस की उपस्थिति का पता लगाने में विफल हो सकता है अगर संक्रमित व्यक्ति को संक्रमित होने के तुरंत बाद परीक्षण किया जाता है. जबकि कोविड -19 के लिए इंक्युबेशन पीरियड 14 दिनों तक है. और इससे पहले, एक व्यक्ति नकारात्मक परीक्षण कर सकता है और कोई लक्षण नहीं है.
यह भी संभावना है कि एक व्यक्ति परीक्षण किए जाने के बाद वायरस को अनुबंधित कर सकता है. इसलिए वायरस के संपर्क में आने के बाद उजागर व्यक्ति को कम से कम एक सप्ताह तक कोरेंटिन में रहने की सलाह दी जाती है.
कई प्रकार के कोविड टेस्ट हैं जिनसे जिससे यह पता चलता है कि व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है या नहीं. एंटीजन परीक्षण तेजी से परीक्षण हैं जो आपको एक या एक घंटे के भीतर परिणाम देते हैं.
Posted By: Pawan Singh