देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या और मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. अब तक करीब 1400 मामले सामने आ चुके हैं और 35 लोगों की मौत हो चुकी है. देश में कुछ इलाके ऐसे हैं जो कोरोना वायरस के ‘हॉटस्पॉट’ बन गए हैं, यानी यहां दूसरे इलाकों के मुकाबले कहीं ज्यादा मामले सामने आए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन हॉटस्पॉट्स की पहचान की है और स्थिति नियंत्रित करने के लिए खास रणनीति भी बनाई है, ताकि यहां से कम्युनिटी ट्रांसमिशन की संभावना को टाला जा सके. देश के छह राज्यों से 10 ऐसे शहरों की पहचान की गयी है जहां से कोरोना संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं. शहरों की पहचान के बाद वहां सतर्कता बढ़ा दी गई है. आप लगातार खबरों में देख-पढ़ रहे होंगे कि दिल्ली, महाराष्ट्र, केरल, राजस्थान, गुजरात जैसे राज्यों से कोरोना के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि इन राज्यों में हर जगह कोरोना का प्रकोप है, बल्कि यहां कुछ खास इलाक़े हैं, जहां एक साथ बहुत सारे लोग संक्रमित हो रहे हैं. ये हॉटस्पॉट हैं – निजामुद्दीन, दिलशाद गार्डन,नोएडा, मेरठ, भीलवाड़ा, अहमदाबाद, मुंबई, पुणे, कासरगोड और पथानामथिट्टा.
मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने प्रेस वार्ता में कहा, सरकार सुनिश्चित कर रही है कि इन हॉटस्पॉट की ठीक तरह से निगरानी की जाए, ताकि वायरस ना फैले. केंद्र सरकार कोविड-19 के उभरते हॉटस्पॉट की लगातार पहचान कर रही है और वहां कड़ी क्लस्टर नियंत्रण रणनीति लागू कर रही है. हालांकि लव अग्रवाल ने जोर देकर कहा कि ये एक संक्रमित बीमारी है, इसलिए कोई संख्या निर्धारित नहीं की जाएगी कि इतने संक्रमित लोग होने पर कोई क्षेत्र ‘हॉटस्पॉट’ घोषित होगा. अगर सरकार को लगेगा कि किसी क्षेत्र में संक्रमण के बड़े पैमाने पर फैलने की संभावना है तो सिर्फ एक मामला सामने आने पर भी उस क्षेत्र को हॉटस्पॉट घोषित किया जाएगा.”
चार प्रदेशों में दो-दो हॉटस्पॉट हैं. दिल्ली में दिलशाद गार्डन और निजामुद्दीन समेत जिन प्रदेशों में दो-दो कोरोना हॉटस्पॉट्स पाए गए हैं, उनमें केरल के कासरगोड और पथनामथिट्टा, उत्तर प्रदेश के नोएडा और मेरठ, महाराष्ट्र के मुंबई और पुणे शामिल हैं. वहीं, राजस्थान और गुजरात में क्रमशः एक-एक शहर भीलवाड़ा और अहमदाबाद हैं, जिन्हें कोरोना हॉटस्पॉट माना गया है.
मुंबईः भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई कोविड-19 के प्रकोप से बुरी तरह प्रभावित हुई है. महाराष्ट्र में कोरोना के दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. राज्य में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 300 से ऊपर पर पहुंच गई है, जिनमें से करीब 151 मुंबई के मामले हैं. मुंबई में नगर निगम ने कोरोना प्रभावित इलाकों में जीआईएस मैपिंग शुरू कर दी है.जिन इलाक़ों में कोरोना के सबसे ज्यादा मामले हैं, उनका नक्शा सिविक बॉडी की वेबसाइट पर लगाया जाएगा. इन नक्शों की मदद से इलाक़ों में रहने वाले लोग सावधानियां बरत सकेंगे और किसी काम के लिए उन जगहों पर जाने वाले लोग भी बचने के उपाय करेंगे.
पुणेः पुणे में कोरोना वायरस से मौत का पहला मामला सामने आया है. कई मरीजों को वेंटीलेटर पर रखा गया है. लगातार मामले बढ़ने के साथ ही पुणे में करोना संक्रमित लोगों का आंकड़ा करीब 43 हो गया है.
निजामुद्दीनः मार्च की शुरुआत में हुए एक धार्मिक आयोजन की वजह से दिल्ली का निजामुद्दीन इलाका कोरोना का हॉटस्पॉट बन गया है. इस आयोजन में करीब 1700 -2000 लोग शामिल हुए थे. अब इन लोगों में से 24 कोरोना संक्रमित पाए गए हैं और 700 को क्वॉरन्टीन कर दिया गया है. कार्यक्रम में शामिल हुए सात लोगों की मौत हो चुकी है.
दिलशाद गार्डनः दिल्ली के रेड लाइन मेट्रो वाले इस क्षेत्र से लगातार कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं. अबतक 10 से ज्यादा लोग यहां कोरोना संक्रमित मिले हैं. हाल में यहां एक कोरोना संक्रमित महिला के संपर्क में आने से नौ लोग संक्रमित हो गए थे. दिलशाद गार्डन में कई लोगों को अलग-थलग करके भी रखा गया है.
नोएडाः ये शहर उत्तर प्रदेश का सबसे ज्यादा संक्रमित है. यहां अबतक 38 कोरोना संक्रमित लोग पाए गए हैं. इनमें ज्यादातर वो लोग हैं, जो विदेश से यात्रा करके लौटे हैं. नोएडा में एक ही कंपनी के 16 कर्मचारियों के पॉजिटिव पाए जाने पर कंपनी को सील कर दिया गया है और कहा जा रहा है कि कंपनी ने अधिकारियों ने ट्रेवल हिस्ट्री छिपाई और वापस आकर साथ काम करने वाले लोगों को संक्रमित किया. प्रशासन ने कंपनी पर एफआईआर भी दर्ज की गयी है.
मेरठः अकेले मेरठ में कोरोना वायरस से संक्रमित अब तक 19 लोग सामने आए हैं. इसमें एक ही परिवार के 13 सदस्य भी शामिल हैं. बताया जा रहा है कि दिल्ली के निजामुद्दीन में हुई तबलीगी जमात में भी मेरठ के कुछ लोग शामिल थे. जिस परिवार में 13 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है वहां के 35 सदस्यों को जांच किया जा रहा है.
भीलवाड़ाः राजस्थान में भीलवाड़ा कोरोना वायरस से सबसे बुरी तरह से प्रभावित जिलों में से एक है. राजस्थान में 30 मार्च तक 83 पॉजिटिव मामले सामने आए, जिनमें से 26 अकेले भीलवाड़ा के थे. दो लोगों की मौत भी हुई है, हालांकि डॉक्टर्स ने इनकी मौत का कारण अन्य बीमारियां भी बताया है. वहां स्थिति को संभालने के लिए सरकार ने अतिरिक्त संसाधन लगा दिए हैं.
अहमदाबादः गुजरात में अबतक कोरोना से छह लोगों की मौत हुई है, जिनमें से तीन मौते अकेले अहमदाबाद में हुई है. अहमदाबाद में फिलहाल 23 लोग कोरोना पॉजिटिव हैं, जिनमें से 14 विदेश से आए थे, दो दूसरे राज्यों से आए थे और सात लोकल संक्रमण की वजह से प्रभावित हुए. इसे देखते हुए प्रशासन मुस्तैद हो गया है. 1200 बेड का केविड हॉस्पिटल तैयार किया गया है.
कासरगोडः कासरगोड में एक दिन में ही 34 लोगों में कोरोना की पुष्टी हुई. इनमें से ज़्यादातर दुबई से लौटे लोग थे और बाकी कोरोना संक्रमित शख्स के संपर्क में आए थे. अकेले कासरगोड में 78 से ज्यादा मामले सामने आए हैं. केरल के मुख्यमंत्री के मुताबिक कोरोना संक्रमित एक नेता कासरगोड से यात्रा करते हुए त्रिवेंद्रम आया था और वहां जाकर कई विधायकों, बड़े नेताओं समेत बहुत से लोगों से मिला. कासरगोड ज़िले के लिए कन्नुर मेडिकल हॉस्पिटल को कोरोना हॉस्पिटल बना दिया गया है. कोरोना का सबसे पहला मामला केरल में ही आय़ा था.
पथानामथिट्टाः केरल सरकार की वेबसाइट के मुताबिक पथानामथिट्टा में 30 से ज्यादा लोग संक्रमित हैं. यहां करीब आठ हजार लोगों को निगरानी में रखा गया है. साथ ही आठ हजार लोगों को घर पर ही अलग-थलग करके रखा गया है. पथानामथिट्टा में ही इलाज करा रहे एक ही परिवार के पांच लोगों को ठीक होने पर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और परिवार के दो बुजुर्ग भी ठीक हो गए हैं, जिन्हें जल्द डिस्चार्ज किया जाएगा.
सामान्य रूप से जिन जगहों पर 10 से अधिक मामले पाए जाते हैं, हम उन्हें ‘क्लस्टर’ कहते हैं. जिस जगह ऐसे कई क्लस्टर होते हैं, उसे हम ‘हॉटस्पॉट’कहते हैं. कभी-कभी संक्रमण के मामले एक ही जगह होते हैं. लेकिन कभी-कभी इतने दूर-दूर तक फैले होते हैं कि पूरे शहर को ही इसके तहत लाना होता है. केंद्र और राज्य सरकारें कोरोना वायरस के हॉटस्पॉट बन चुके इलाक़ों की पहचान कर वहां खास कदम उठा रही है. इन इलाक़ों का और कड़ा सर्विलांस किया जा रहा है और लॉकडाउन का पालन कराने की वहां ज्यादा कड़ी कोशिशें की जा रही हैं और जरूरत पड़ने पर आगे बढ़कर जरूरी सुविधाएं तक बंद की जा रही हैं. इन हॉटस्पॉट्स की पहचान से सरकारें चेन ऑफ ट्रांसमिशन को तोड़ने की कोशिश करेगी, इसलिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर विशेष टीमें बनाई हैं, ताकि वो वक्त-वक्त पर इसका फीडबैक ले सके और आगे की रणनीति बना सके.