कोरोना की दूसरी लहर वाले राज्यों ने केंद्र से मांगे अधिक टीके, तो केंद्र ने लगाया राजनीति करने का आरोप

इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कोरोना की दूसरी लहर की मार झेल रहे महाराष्ट्र, दिल्ली और पंजाब पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे अपने खराब टीकाकरण से ध्यान भटकाने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 8, 2021 8:50 AM

नई दिल्ली : कोरोना महामारी के खिलाफ पिछले एक साल से भी अधिक समय से लड़ाई लड़ रहे केंद्र और राज्य सरकारों के आपसी संबंधों में उस समय तनाव आ गया, जब देश के कई राज्यों ने केंद्र सरकार से कोरोना वैक्सीन की खुराक की आपूर्ति और 18 साल से अधिक उम्र के सभी व्यक्तियों को टीका लगाने की मांग की. राज्यों की ओर से की गई इस मांग के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने तल्खियत दिखाते हुए कोरोना की दूसरी लहर से प्रभावित प्रदेशों की सरकारों पर सार्वजनिक स्वास्थ्य के राजनीतिकरण और झूठ फैलाने का आरोप लगाया. इसके साथ ही, मंत्रालय ने राज्यों पर जांच की प्रक्रिया को पूरा नहीं करने, संपर्कों का पता लगाने कोताही बरतने और बुनियादी स्वास्थ्य को दुरुस्त नहीं करने का भी आरोप लगाया.

इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कोरोना की दूसरी लहर की मार झेल रहे महाराष्ट्र, दिल्ली और पंजाब पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे अपने खराब टीकाकरण से ध्यान भटकाने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं. फिर भी एक आधिकारिक बयान में उन्होंने इस बात को माना कि टीकों की आपूर्ति सीमित है और यह स्थिति अब तक जारी है. इसलिए देश में आयु वर्ग को प्राथमिकता देने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है. बता दें कि उनका यह बयान गुरुवार को मुख्यमंत्रियों के साथ होने वाली बैठक से ठीक एक दिन पहले आया है.

बुधवार को बिजनेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित एक साक्षात्कार में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि कोविशील्ड के उत्पादन को दोगुना करने के लिए सरकार से अनुदान के रूप में कंपनी ने कुछ हजार करोड़ की मांग की है. उन्होंने कहा कि अगर फंड आता है, तो हम दो महीने के भीतर टीकों की दोगुनी मात्रा देने को तैयार हैं.

हालांकि, वरिष्ठ सरकारी सूत्रों ने कहा कि अनुदान के लिए कोई प्रावधान नहीं है. क्या दिया जाता है और कंपनियां क्या मांगती हैं. सरकार की ओर से जो अग्रिम भुगतान किया जाता है, उसे कंपनियों की ओर से टीकों की आपूर्ति के बाद समायोजित कर लिया जाता है. यह नकदी की स्थिति को भी दर्शाता है, लेकिन हमें नहीं पता कि कंपनी ने इसके लिए क्या कहा है.

केंद्र ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ होने वाली मुख्यमंत्रियों की बैठक की पूर्व संध्या पर एक और घोषणा की कि 11 अप्रैल से देश भर में कार्यस्थलों पर टीकाकरण केंद्रों की शुरुआत की जाएगी. इसके अलावा, स्वास्थ्य मंत्री ने अपने बयान में छत्तीसगढ़ पर कोवैक्सीन के इस्तेमाल से इनकार करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि दुनिया में एक मात्र सरकार है, जिसने कोवैक्सीन के इस्तेमाल करने से इनकार किया है. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि कर्नाटक, राजस्थान और गुजरात में जांच की गुणवत्ता में सुधार करने की जरूरत है.

केंद्र के रुख को दोहराते हुए डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि टीकाकरण का प्राथमिक उद्देश्य सबसे कमजोर लोगों में मृत्यु दर को कम करना है. उन्होंने कहा कि जब तक टीकों की आपूर्ति सीमित रहती है, तब आयु वर्ग की प्राथमिकता के अलावा कोई विकल्प नहीं है. यह दुनिया भर में किया जा रहा है और सभी राज्य सरकारें इसे अच्छी तरह से जानती हैं. महाराष्ट्र पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कुछ राज्य सरकारों ने अपनी विफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए लोंगों के बीच दुष्प्रचार भी किए हैं.

उन्होंने आगे कहा कि महाराष्ट्र सरकार को महामारी को नियंत्रित करने के लिए और भी बहुत कुछ करने की जरूरत है. केंद्र सरकार हर संभव से उनकी मदद करेगी, लेकिन वे केवल इस बात पर राजनीति करने और झूठ फैलाने में अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं कि महाराष्ट्र के लोगों को कोई मदद नहीं की जा रही है. टीके की कमी की रिपोर्ट पर उन्होंने बताया कि टीकों की मांग और आपूर्ति की वस्तुस्थिति के बारे में राज्यों को लगातार अपडेट किया जा रहा है.

हर्षवर्धन ने कहा कि भारत सरकार मांग और आपूर्ति की स्थिति के साथ परिणामी टीकाकरण रणनीति के बारे में सभी राज्य सरकारों को बार-बार और पारदर्शी तरीके से अपडेट करती रही है. वास्तव में, सभी राज्य सरकारों के साथ साझेदारी में व्यापक विचार-विमर्श और परामर्श के बाद टीकाकरण रणनीति तैयार की गई है.

उन्होंने विशेष रूप से महाराष्ट्र से वैक्सीन की कमी की रिपोर्टों को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि यह महामारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार की बार-बार विफलताओं से ध्यान भटकाने का प्रयास है. महाराष्ट्र सरकार की जिम्मेदारी निभाने में असमर्थता समझ से परे है. लोगों में दहशत फैलाने के लिए मूर्खता को और बढ़ाना है. वैक्सीन आपूर्ति की वास्तविक समय पर निगरानी की जा रही है और राज्य सरकारों को इसके बारे में नियमित रूप से अवगत कराया जा रहा है. वैक्सीन की कमी के आरोप पूरी तरह निराधार हैं.

उधर, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक ट्वीट में महाराष्ट्र को वैक्सीन की आपूर्ति के आंकड़े जारी करते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार को टीकाकरण पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अब तक राज्य को कुल 1,06,19,190 कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति की गई, जिसमें 90,53,523 वैक्सीन खपत (जिनमें से 6 फीसदी बर्बादी शामिल है) की गई, जबकि 7,43,280 पाइपलाइन में है. कोरोना की 23 लाख खुराक अब भी उपलब्ध है.

वहीं, स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने प्राथमिक समूहों के बीच खराब टीकाकरण कवरेज को लेकर महाराष्ट्र, पंजाब और दिल्ली सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि जब राज्य 18 से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए वैक्सीन की आपूर्ति को खोलने की बात कहते हैं, तो हमें यह मान लेना चाहिए कि उन्होंने स्वास्थ्य कर्मियों, फ्रंटलाइन श्रमिकों और वरिष्ठ नागरिकों की संतोषजनक कवरेज की है, लेकिन वास्तविकता ठीक इसके विपरीत है.

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र ने क्रमश: पहली खुराक और दूसरी खुराक के साथ केवल 86 फीसदी और 46 फीसदी स्वास्थ्य कर्मचारियों का टीकाकरण किया है. दिल्ली ने क्रमश : पहली और दूसरी खुराक के साथ 72 फीसदी और 41 फीसदी स्वास्थ्य कर्मचारियों का टीकाकरण किया है, जबकि पंजाब ने 64 फीसदी और 27 फीसदी स्वास्थ्य कर्मचारियों को टीका लगाया है.

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Posted by : Vishwat Sen

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