कोविड-19 : सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों ने छेड़ी फेक न्यूज के खिलाफ जंग
कोरोना वायरस महामारी में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म गलत सूचना के प्रवाह को रोकने के लिए शुरू किया अभियान
देश में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग कई मोर्चों पर लड़ी जा रही है. एक ओर जहां सरकार इस महामारी को हराने के लिए नयी रणनीति तैयार कर रही है. वहीं दूसरी ओर इस बीमारी से जुड़ी कई गलत सूचनाओं को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से फैलाया जा रहा है. पिछले कुछ हफ्ते में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जिनमें भ्रामक सूचनाओं के चलते लोगों को चिकित्सकीय रूप से असंतुलित रसायनों को आजमाते देखा गया है.
इसी तरह परिवहन सेवाओं के फिर से शुरू होने की भ्रामक खबर के बाद कई लोगों ने लॉकडाउन का उल्लंघन किया और वे घर वापसी की चाह में स्टेशनों व बस डिपो पर इकट्ठा हो गए. कोविड-19 से जुड़ी इन भ्रामक खबरों के प्रसार को रोकने के लिए अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने सख्त कार्यवाही होनी शुरू हो गयी है.
तथ्यों की जांच के लिए 60 से अधिक संगठनों के साथ काम कर रहा फेसबुक
फेसबुक अब तक फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अपने कोविड-19 सूचना केंद्रों के माध्यम से डब्ल्यूएचओ व अन्य स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा सत्यापित की गयी खबरों को 2 बिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं तक पहुंचा चुका है. फेसबुक के वीपी गाई रोसेन ने 16 अप्रैल को अपने ब्लॉक पर लिखे गए एक पोस्ट के माध्यम से कहा है कि मौजूदा परिस्थिति में महामारी से जुड़ी सही जानकारी लोगों तक पहुंचाना ही पर्याप्त नहीं है. हमारे लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कोविड-19 से जुड़ी गलत सूचनाओं और हानिकारक सामग्री के प्रसार को रोकना भी महत्वपूर्ण है.लत सूचनाओं और हानिकारक सामग्री के प्रसार को रोकना भी महत्वपूर्ण है.
इसके लिए फेसबुक तथ्यों की जांच करनेवाले 60 से अधिक संगठनों के साथ काम कर रहा है. ये संगठन 50 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं में समीक्षा और रेटिंग सामग्री दे रहे हैं. इन संगठनों का समर्थन करने के लिए सोशल नेटवर्क ने इंटरनेशनल फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क के साथ साझेदारी में 1 मिलियन डॉलर खर्च करने की घोषणा की है. इसके अलावा व्हॉट्सएप भी ऐसे फीचर को लॉन्च करने की तैयारी में लगा है, जो फेक न्यूज को पहचानने व उसके प्रसार को रोकने में यूजर्स की मदद करेगा.
तथ्यों को बारीकी से जांच रहे हैं याहू के संपादक
न्यूज एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म याहू ने भी अपने प्लेटफॉर्म पर फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं. प्लेटफॉर्म के संपादक कोरोना वायरस से संबंधित सभी समाचारों की बारीकी से समीक्षा कर रहे हैं. वे सूचना के स्रोत का सत्यापन कर रहे हैं.
सरकार व अन्य वैश्विक संगठनों के विश्वसनीय स्रोतों से संपर्क तक तथ्यों की जांच कर रहे हैं. इतना ही नहीं वे तथ्यों का सत्यापन करनेवाली वेबसाइटों का भी प्रयोग कर रहे हैं.
याहू इंडिया के प्रधान संपादक शिशिर विनय भाटे कहते हैं कि इस वक्त हम महामारी को लेकर फैलायी जा रही अफवाहों से जूझ रहे हैं. गलत सूचना और असत्यापित डेटा फैलानेवाली ये फर्जी खबरें मौजूदा स्थिति को और बिगाड़ सकती हैं. खासतौर से महामारी के इलाज एवं उपचार को लेकर जो गलत सूचनाएं फैलायी जा रही हैं, वे लोगों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकती हैं.
खबरों की जांच के लिए गूगल ने खर्च किए 6.5 मिलियन डॉलर
महामारी को लेकर फैलायी जा रही गलत खबरों के सत्यापन के लिए गूगल ने 6.5 मिलियन डॉलर खर्च करने का फैसला किया है. गूगल न्यूज इनिशिएटिव (जीएनआइ) ने फर्स्ट ड्राफ्ट नामक एक गैर-लाभान्वित प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसमें ऑनलाइन फैलायी जा रही फेक न्यूज की बारीकी से जांच की जा रही है. इस प्रोजेक्ट के माध्यम से गूगल विश्वभर के रिपोर्टरों तक आपदा से जुड़ी सही जानकारियां पहुंचाने में मदद कर रहा है. फर्स्ट ड्राफ्ट जल्द ही न्यूजरूम की भी सहायता करेगा, ताकि वे पहले से फैली हुई गलत समाचारों के प्रति लोगों में जागरूकता फैला सकें.