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Covid Vaccine Update India : वैक्सीन लगाने से पहले पढ़ लें क्या है वैज्ञानिकों की राय

फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना द्वारा विकसित कोविड-19 के टीके से एलर्जी होने की आशंका के बाद वैज्ञानिकों ने उन लोगों को दूसरी खुराक देने से पहले कुछ सुरक्षा उपायों की रूपरेखा तय की है, जिनमें पहली खुराक के बाद प्रतिकूल लक्षण नजर आए थे .

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 2, 2021 9:01 PM
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फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना द्वारा विकसित कोविड-19 के टीके से एलर्जी होने की आशंका के बाद वैज्ञानिकों ने उन लोगों को दूसरी खुराक देने से पहले कुछ सुरक्षा उपायों की रूपरेखा तय की है, जिनमें पहली खुराक के बाद प्रतिकूल लक्षण नजर आए थे .

‘एलर्जी एंड क्लिनिकल इम्युनोलॉजी

इन प्रैक्टिस’ नाम के जर्नल में प्रकाशित शोध में कोविड-19 के टीके लगाए जाने के बाद होने वाली एलर्जी के ज्ञात तथ्यों के बारे में बताया गया है. शोध में विशेषज्ञों के दल का नेतृत्व मेसाच्युसेट्स जनरल अस्पताल के एलर्जी विशेषज्ञों ने की.

एलर्जी पर क्या है वैज्ञानिकों की राय

इसमें विस्तृत सलाह दी गई है, ताकि विभिन्न प्रकार की एलर्जी से ग्रस्त लोग सुरक्षित तरीके से कोविड-19 का टीका लगवा सकें. टीके के बाद एलर्जी जैसी प्रतिक्रिया के गहन अध्ययन के बाद अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने सुझाव दिया है कि नोवेल कोरोना वायरस की आनुवांशिक सामग्री पर आधारित एम-आरएनए टीके उन लोगों को नहीं लगाया जाए, जिनमें कोविड-19 के टीके के किसी तत्व से गंभीर एलर्जी की शिकायत रही है. अमेरिका के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र ने परामर्श दिया है कि टीका लगवाने वाले सभी लोगों पर टीकाकरण के बाद 15 मिनट तक नजर रखी जाए.

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टीका कैसे लें

इस समीक्षा अध्ययन में एमजीएच में एलर्जी एंड क्लिनिकल इम्युनोलॉजी इकाई की क्लिनिकल निदेशक एवं एमडी एलीना बनर्जी तथा उनके सहयोगियों ने ऐसे लोगों को टीके की दूसरी खुराक सुरक्षित तरीके से देने के लिए उपाय सुझाए हैं, जिन लोगों में पहली खुराक के बाद प्रतिकूल प्रतिक्रिया देखने को मिली थी.

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बनर्जी ने कहा, ‘‘हमारे दिशा-निर्देश चिकित्सा समुदाय को इस बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी देते हैं कि किस तरह एलर्जी से पीड़ित लोगों को टीके की दोनों खुराक सुरक्षित तरीके से दी जा सकती हैं.” हालांकि, विशेषज्ञों के मुताबिक टीकों से एलर्जी के मामले बहुत कम देखने को मिलते हैं तथा दस लाख लोगों में से करीब 1.3 लोगों को ही इसका सामना करना पड़ता है

भाषा

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