कोरोना वायरस के इंडियन वेरिएंट को बेअसर करने में कितना सक्षम है वैक्सीन, जानिए एक्सपर्ट की राय
Vaccines Efficacy Covid Variant In India भारत में कोरोना की दूसरी लहर का व्यापक प्रभाव देखने को मिल रहा है. इन सबके बीच, वैक्सीनेशन अभियान में तेजी लाए जाने की मांग जोर पकड़ रही है. हालांकि, भारत में तेजी से फैल रहे कोरोना के नए वेरिएंट पर वैक्सीन के असरदार होने को लेकर भी शोध जारी है और इस बारे में कई तरह की चर्चाएं सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि कोरोना वायरस को बेअसर करने में कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों ही वैक्सीन सक्षम है, लेकिन इसकी क्षमता कम बतायी जा रही है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या वैक्सीन की मदद से देश को सुरक्षित किया जा सकता है.
Vaccines Efficacy Covid Variant In India भारत में कोरोना की दूसरी लहर का व्यापक प्रभाव देखने को मिल रहा है. इन सबके बीच, वैक्सीनेशन अभियान में तेजी लाए जाने की मांग जोर पकड़ रही है. हालांकि, भारत में तेजी से फैल रहे कोरोना के नए वेरिएंट पर वैक्सीन के असरदार होने को लेकर भी शोध जारी है और इस बारे में कई तरह की चर्चाएं सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि कोरोना वायरस को बेअसर करने में कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों ही वैक्सीन सक्षम है, लेकिन इसकी क्षमता कम बतायी जा रही है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या वैक्सीन की मदद से देश को सुरक्षित किया जा सकता है.
न्यूज चैनल एनडीटीवी से बातचीत में सीएसआईआर की प्रयोगशाला इंस्टीट्यूट आफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) के निदेशक डॉ. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि वैक्सीन की डोज के बावजूद हल्के संक्रमण का खतरा हो सकता है. उन्होंने कहा कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों ही वैक्सीन पर किए गए स्टडी में 76 और 80 प्रतिशत प्रभावी होने की बात सामने आयी है. उन्होंने कहा कि नए वेरिएंट के आने के पहले भी वैक्सीन की डोज लेने के बावजूद 20 प्रतिशत लोगों के संक्रमित होने का खतरा बना हुआ था.
जानकारी के मुताबिक, भारत में पाए गए कोरोना के नए वरिएंट बी.1. 617 दुनिया के सत्रह अन्य देशों में भी मिले है. भारत में फैल रहा यह वेरिएंट पिछले अक्टूबर में पहली बार डिटेक्ट किया गया था. बताया जा रहा है कि महामारी के फैलने का कारण यही वेरिएंट है. वहीं, हाल ही में डब्लयूएचओ ने इसे वेरियंट ऑफ इंटरेस्ट करार दिया है. हालांकि, इस वेरिएंट को चिंताजनक नहीं बताया है.
आईजीआईबी के निदेशक डॉ. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि इस नए वेरिएंट से एक सामान्य व्यक्ति के जल्द रिकवर होने की संभावना ज्यादा है. ऐसा महाराष्ट्र में भी देखा गया है. उन्होंने कहा कि इसके लिए समय पर इलाज जरूरी है. हालांकि, अभी के माहौल में ऐसा करना थोड़ा मुश्किल हो रहा है और इस कारण संक्रमण ज्यादा तेजी से फैल रहा है. जिससे कोरोना संक्रमण खतरनाक स्तर पर पहुंच रहा है.
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि आरटी-पीसीआर अभी भी नए वेरिएंट को जांचने में सक्षम है. कोरोना की दूसरी लहर में यंग लोगों के ज्यादा संक्रमित होने के पीछे शिक्षा संस्थानों, मॉल और रेस्टोरेंट को खोला जाना एक वजह माना जा रहा है. गौर हो कि कोरोना वायरस से संक्रमित होकर देश में अब तक करीब 2.6 लाख लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. कोरोना के खिलाफ जंग में भागीदारी की सलाह देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को लोगों से मास्क पहनने और दो गज दूरी का पालन करने सहित बचाव के उपायों का अनुसरण करने का आग्रह किया है.
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