कोविशील्ड वैक्सीन कोरोना संक्रमण से लड़ने में कितनी कारगर है ? कोविशील्ड कोरोना के नये वेरिएंट से लड़ने में कारगर है या नहीं ? वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद आप कितने सुरक्षित है ? वैक्सीन लेने के बाद आप कितने सुरक्षित हैं ? क्या आपको भी बूस्टर डोज की आवश्यकता है.
ऐसे कई सवालों के जवाब इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के रिसर्चर्स की एक स्टडी में मिले हैं. इस शोध में वैक्सीन से जुड़े कई अहम सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश की गयी है. इस शोध में पाया गया है कि कोरोना संक्रमण के नये वेरिएंट से लड़ने में वैक्सीन कितनी कारगर है.
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शोध में पहला डोज लेने वाले 58.1 फीसद सैंपल में कोरोना के नये डेल्टा वेरिएंट के न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी नहीं दिखी यानि पहले डोज के बाद इतनी संख्या में लोग असुरक्षित हैं उनमें पहले डोज के बाद कोरोना के नये वेरिएंट से लड़ने की क्षमता पूरी तरह विकसित नहीं हुई है. दूसरे डोज के बाद भी शोध में पाया गया कि 16.1% सैंपल्स में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी नहीं थी.
इस शोध के आंकड़ों के बाद अगर आपको लगता है कि आप में वैक्सीन लेने के बाद नये वेरिएंट से लड़ने की क्षमता नहीं है तो आप गलत है. इस मामले पर एबीपी न्यूज में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार डॉ. टी जैकब जॉन के बयान का हवाला देते हुए बताया गया है कि एंटीबॉडी नहीं दिखाई देना और मौजूद नहीं होना. दो अलग- अलग बातें हैं. सैंपल में एंटीबॉडी नहीं दिखी इसका यह मतलब नहीं है कि वो नहीं है संभव है कि वो हो लेकिन कम मात्रा में हो. अगर वो मौजूद है तो गंभीर बीमारियों से लड़ने में कारगर है.
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इस शोध के पीछे का सबसे बड़ा कारण था कि वैक्सीनेशन के बाद लोग कितने सुरक्षित हैं. इसका पता लगाया जा सके. क्या लोगों को बूस्टर शॉट की जरूरत है. शोध में पाया गया है कि कुछ को कोविशील्ड के अतिरिक्त बूस्टर की जरूरत पड़ सकती है. जो लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं उन्हें वैक्सीन की एक डोज ही काफी है.