कोरोना के नये वेरिएंट पर 90% से ज्यादा प्रभावी है Covovax, अमेरिकी कंपनी की मदद से सीरम सितंबर तक तैयार कर लेगा वैक्सीन

Corona new variants | Covovax is more effective : सितंबर के महीने में भारत को एक और वैक्सीन (Corona Vaccine) मिल सकती है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII), अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स (Novavax) के साथ मिलकर इस वैक्सीन को भारत में विकसित कर रहा है. यह वैक्सीन कोवोवैक्स (Covovax) के नाम से आयेगा. बताया गया है कि यह वैक्सीन कोरोना के नये वेरिएंट पर भी 90 फीसदी तक असरदार है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक अमेरिकी कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने सोमवार को कहा कि नोवावैक्स अपने कोविड-19 वैक्सीन की शुरुआती आपूर्ति के लिए विकासशील देशों को प्राथमिकता देगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 15, 2021 12:14 PM
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नयी दिल्ली : सितंबर के महीने में भारत को एक और वैक्सीन (Corona Vaccine) मिल सकती है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII), अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स (Novavax) के साथ मिलकर इस वैक्सीन को भारत में विकसित कर रहा है. यह वैक्सीन कोवोवैक्स (Covovax) के नाम से आयेगा. बताया गया है कि यह वैक्सीन कोरोना के नये वेरिएंट पर भी 90 फीसदी तक असरदार है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक अमेरिकी कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने सोमवार को कहा कि नोवावैक्स अपने कोविड-19 वैक्सीन की शुरुआती आपूर्ति के लिए विकासशील देशों को प्राथमिकता देगा.

मैरीलैंड-मुख्यालय वाली कंपनी ने कहा कि उसके टीके ने SARS-CoV-2 के कारण होने वाली मध्यम और गंभीर बीमारी के खिलाफ देर से चरण के परीक्षणों में 100 प्रतिशत सुरक्षा का प्रदर्शन किया है. कुल मिलाकर, टीके की प्रभावकारिता 90.4 प्रतिशत थी. यानी यह उन लोगों की तुलना में कोविड -19 मामलों को 90 प्रतिशत से अधिक कम करने की क्षमता दिखाती है, जिन्हें टीका नहीं दिये गये थे.

परीक्षणों के परिणाम की घोषणा करते हुए सीईओ स्टेनली सी एर्क ने कहा कि हमें अपने साथी सीरम इंस्टीट्यूट (भारत) के साथ कोवैक्स के लिए 1.1 बिलियन खुराक की प्रतिबद्धता मिली है. हमारी अधिकतर पहली खुराक निम्न और मध्यम आय वाले देशों में जाने वाली है. उन्होंने कहा कि कई उच्च आय वाले देशों ने पहले से ही अपनी आबादी के बड़े हिस्से को अन्य कंपनियों द्वारा निर्मित वैक्सीन लगवा दिये हैं. जबकि निम्न और मध्यम आय वाले देश अब भी टीके की तीव्र कमी से जूझ रहे हैं.

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कोवैक्स विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक पहल है जिसके तहत संपन्न देशों को वैक्सीन दान करने हैं और इसका उपयोग गरीब देशों की आबादी के वैक्सीनेशन के लिए किया जायेगा. नोवावैक्स, एक छोटी सी कंपनी है जिसे पिछले साल ट्रंप प्रशासन ने वैक्सीन के विकास और उत्पादन के लिए काफी समर्थन दिया था. पहले इसकी आपूर्ति चार पांच उच्च आय वाले देशों को करनी थी, लेकिन अब इसमें बदलाव किया गया है. पहले गरीब देशों को आपूर्ति की जायेगी.

विशेषज्ञों का मानना है कि कोवावैक्स को अमेरिका में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिलने में परेशानी हो सकती है और कोवैक्सीन की ही तरह इसे भी पूर्णकालीन इस्तेमाल के लिए आवेदन करना होगा. इसपर कंपनी की ओर से कहा गया कि उम्मीद है अमेरिका से पहले दूसरे देशों में वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी मिल जायेगी. सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने भी पिछले महीने कहा था कि सितंबर तक वैक्सीन बाजार में उपलब्ध होगी. भारत में इस वैक्सीन के इस्तेमाल पर अभी कोई सूचना नहीं है.

Posted By: Amlesh Nandan.

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