विधायकों की संख्या के मामले में तृणमूल कांग्रेस से माकपा पीछे, आय के मुकाबले में काफी आगे

इस साल जनवरी में, तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग को अपना आय-व्यय का लेखा प्रस्तुत किया. माकपा ने भी अपना आय-व्यय का लेखा-जोखा पेश किया. इससे पता चलता है कि माकपा ने तृणमूल को लगभग 15 करोड़ रुपये की वार्षिक आय के साथ पीछे छोड़ दिया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 11, 2021 5:40 PM

नवीन कुमार राय (कोलकाता): जनप्रतिनिधियों और विधायकों की संख्या से लेकर अखिल भारतीय राजनीति में भूमिका तक, विमान-येचुरी-विजयन-करात यानि माकपा सभी मामलों में ममता बनर्जी से बहुत पीछे हैं. लेकिन, पार्टी की आय के मामले में माकपा तृणमूल कांग्रेस से आगे है. इस साल जनवरी में, तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग को अपना आय-व्यय का लेखा प्रस्तुत किया. माकपा ने भी अपना आय-व्यय का लेखा-जोखा पेश किया. इससे पता चलता है कि माकपा ने तृणमूल को लगभग 15 करोड़ रुपये की वार्षिक आय के साथ पीछे छोड़ दिया है.

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टीएमसी और माकपा दोनों इस समय एक-एक राज्य में सत्ता में हैं. इसी साल 16 जनवरी को टीएमसी ने आयोग को सौंपे गए खातों में वित्तीय वर्ष 2019-20 में सिर्फ 143.67 करोड़ रुपये से अधिक की आय दिखाई है. माकपा ने इस साल फरवरी में अपनी आय-व्यय का लेखा-जोखा आयोग को सौंपा था. वित्तीय वर्ष 2019-20 में इनकी आमदनी 158.62 करोड़ से कुछ ज्यादा है.

आय के मामले में पिछड़ने के बावजूद तृणमूल ने माकपा से ज्यादा खर्च किया है. आयोग को सौंपे गए बही-खाते के अनुसार, तृणमूल ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में लगभग 107.27 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. माकपा के मुताबिक उन्होंने 105 करोड़ 68 लाख रुपये खर्च किए हैं.

माकपा ने पिछले साल वित्तीय वर्ष 2018-2019 की तसवीर उलट थी. उस साल तृणमूल कांग्रेस की आमदनी करीब 191 करोड़ 60 लाख रुपये थी. उस समय माकपा किसी तरह 100 करोड़ का आंकड़ा पार करने में सफल रही थी. वित्तीय वर्ष 2018-2019 में माकपा की आय 100 करोड़ 96 लाख रुपये थी. दूसरे शब्दों में कहें तो एक साल पहले तृणमूल की आय सीपीएम से 90 करोड़ 68 लाख ज्यादा थी. 2018-19 में, सीपीएम ने 76 करोड़ 15 लाख रुपये खर्च किए. इसकी तुलना में, जमीनी स्तर पर खर्च नगण्य था. कहने का मतलब है सिर्फ 10.45 करोड़ है.

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देश के राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव आयोग को सौंपी गई आखिरी ऑडिट रिपोर्ट 2019-20 की है. आयोग ने अभी यह रिपोर्ट प्रकाशित की है. साल 2019 में लोकसभा चुनाव हुए थे. जैसा कि विभिन्न दलों से देखा जा सकता है, 2019-20 में अकेले भाजपा ने अन्य सभी दलों के राजस्व को दोगुना से अधिक (3,623 करोड़) कर दिया है. इसमें से भाजपा को चुनावी बांड से 2,555 करोड़ रुपये मिले. जबकि, सबसे पुराने दल कांग्रेस की कुल आय 682 करोड़ रुपये थी.

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