chardham yatra 2022: श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, रुद्रप्रयाग में प्रशासन ने रविवार तक लगाई रोक
केदारनाथ धाम जाने वाले श्रद्धालुओं को सुबह 10 बजे से रोक दिया है. यात्रियों को अब रविवार सुबह 4 बजे केदारनाथ धाम भेजा जाएगा. कोई अप्रिय घटना न हो इसके लिए जिला प्रशासन हर संभव सावधानी बरत रहा है.
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस और आईटीबीपी (ITBP) ने सोनप्रयाग में केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) जाने वाले श्रद्धालुओं को सुबह 10 बजे से रोक दिया है. यात्रियों को अब रविवार सुबह 4 बजे केदारनाथ धाम भेजा जाएगा. इसकी जानकारी रुद्रप्रयाग के अंचल अधिकारी प्रमोद कुमार ने दी. उन्होंने कहा कि कोई अप्रिय घटना न हो इसके लिए जिला प्रशासन हर संभव सावधानी बरत रहा है.
#WATCH | Uttarakhand: Due to a heavy rush of devotees, the police & ITBP have stopped the devotees enroute Kedarnath Dham at Sonprayag since 10am.
"The passengers will now be sent to Kedarnath Dham from 4 am on Sunday, May 29," said Rudraprayag Circle Officer Pramod Kumar pic.twitter.com/QK8jknIWbm
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 28, 2022
लाखों श्रद्धालुओं ने की यात्रा
केदारनाथ में अब तक 7 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बाबा धाम में इतनी भीड़ है कि लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई है. वहीं, रुद्रप्रयाग (Rudraprayag) से लेकर गौरीकुंड तक पूरा यात्रा मार्ग श्रद्धालुओं से भरा है. भीड़ पर नियंत्रण करने को लेकर प्रशासन लगातार मुस्तैद है.
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बिना रजिस्ट्रेशन के जाने वाले श्रद्धालुों को रोका
बाबा के दरबार में भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सख्त रुख अपनाने का फैसला लिया है. अब चार धाम जाने से पहले श्रद्धालुओं को रिजस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है. वहीं, प्रशासन ने बतााया कि जो यात्री बिना रजिस्ट्रेशन कराए आ रहे है उन्हें रुद्रप्रयाग में ही रोक दिया जा रहा है.
अब तक 44 श्रद्धालुओं की मौत
जानकारी के अनुसार अब तक 44 श्रद्धालुओं की मौत हुई है. बता दे कि चारधामों में सबसे कठिन यात्रा केदारनाथ धाम का है. ज्यादातर श्रद्धालु यहां पैदल ही आना पसंद करते है. जिस कारण रास्तें में ही उनकी तबियत खराब हो जाती है और उन्हें सांस की समस्या होने लगती हैं.
100 से ज्यादा खच्चरों की मौत
केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए गौरीकुंड से 18 किमी की खड़ी चढ़ाई करनी पड़ती है. इसके लिए श्रद्धालु हेलीकॉप्टर या खच्चर का सहारा लेते है. इधर, खच्चर मालिक पैसों की लालच में एक खच्चर को करीब 4-4 फेरे लगवा रहे हैं, जिससे अब तक 100 से अधिक खच्चरों की मौत हो चुकी है. वहीं, मरने के बाद खच्चरों को पास के मंदाकिनी नदी में फेंका जा रहा है, जिससे नदी का पानी प्रदूषित हो रही है.