CRPF ने देसी रियासतों के विलय और आतंकियों को धूल चटाने में निभाई अहम भूमिका, राइजिंग डे पर जानें इतिहास
देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) भारत संघ का प्रमुख केंद्रीय पुलिस बल है. यह सबसे पुराना केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल में से एक है.
नई दिल्ली : आज केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) का 83वां स्थापना दिवस है. यह भारत संघ का केंद्रीय पुलिस बल है. आज इसके 83वें स्थापना दिवस पर गृहमंत्री अमित शाह ने सीआरपीएफ के जवानों को शुभकामनाएं दी हैं. देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारतीय संघ के तहत 1949 में इसका नाम बदलकर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) कर दिया था. आइए जानते हैं इसका इतिहास…
कब हुआ सीआरपीएफ का गठन
देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) भारत संघ का प्रमुख केंद्रीय पुलिस बल है. यह सबसे पुराना केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल (अब केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के रूप में जानते हैं) में से एक है, जिसे 1939 में क्राउन रिप्रजेंटेटिव पुलिस के रूप में गठित किया गया था. क्राउन रिप्रजेंटेटिव पुलिस भारत की तत्कालीन रियासतों में आंदोलनों, राजनीतिक अशांति, साम्राज्यिक नीति के रूप में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के मद्देनजर स्थापित की गई थी. 1936 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मद्रास संकल्प को ध्यान में रखकर सीआरपीएफ की स्थापना की गई.
रियासतों के भारत संघ में विलय में निभाई अहम भूमिका
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 1950 से पहले भुज तत्कालीन पटियाला और पूर्वी पंजाब राज्य संघ (पीईपीएसयू) तथा चंबल के बीहड़ों के सभी इलाकों में अपने काम के लिए सीआरपीएफ के प्रदर्शन की सराहना की गई. भारत संघ में रियासतों के विलय के दौरान सीआरपीएफ ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जूनागढ़ की विद्रोही रियासत और गुजरात में कठियावाड़ की छोटी रियासत ने भारतीय संघ में शामिल होने के लिए मना कर दिया था. इन दोनों को अनुशासित करने में इस सीआरपीएफ ने सरकार की काफी मदद की थी.
1959 में सीआरपीएफ के जवानों ने चीनी हमले को किया नाकाम
भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिलने के तुरंत बाद कच्छ, राजस्थान और सिंध की सीमाओं में घुसपैठ और सीमा पार आतंक की जांच के लिए सीआरपीएफ की टुकड़ियों को भेजा गया. पाकिस्तानी घुसपैठियों की ओर से शुरू किए गए हमलों के बाद सीआरपीएफ के जवानों को जम्मू-कश्मीर की पाकिस्तानी सीमा पर तैनात किया गया. जम्मू-कश्मीर में लद्दाख के हॉट स्प्रिंग पर पहली बार 21 अक्टूबर 1959 को चीनी हमले को सीआरपीएफ के जवानों ने नाकाम किया. पुलिस बल के एक छोटे से गश्ती दल पर चीन ने हमला किया, जिसमें बल के 10 जवानों ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया. उनकी शहादत की याद में देश भर में हर साल 21 अक्तूबर को पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है.
श्रीलंका में महिला टुकड़ी के साथ आतंकियों से लिया लोहा
इतना ही नहीं, भारत में अर्द्ध सैनिक बलों के इतिहास में पहली बार महिलाओं की एक टुकड़ी के साथ सीआरपीएफ की 13 कंपनियों को आतंकवादियों से लोहा लेने के लिए भारतीय शांति सेना के साथ श्रीलंका भेजा गया. संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के एक अंग के तौर पर सीआरपीएफ के जवानों को हैती, नामीबीया, सोमालिया और मालदीव के लिए वहां की कानून और व्यवस्था की स्थिति से निपटने के लिए भेजा गया.
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गृहमंत्री अमित शाह ने सीआरपीएफ के जवानों को दी शुभकामनाएं
भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने केंद्रीय रिजर्व सुरक्षा बल (सीआरपीएफ) के 83वें स्थापना दिवस की सीआरपीएफ के जवानों को शुभकामनाएं दीं. अपने शौर्य से सीआरपीएफ ने न सिर्फ देश की सुरक्षा को अक्षुण्ण रखने में अद्वितीय योगदान दिया है, बल्कि वीरता का एक गौरवशाली इतिहास भी बनाया है, जिस पर हर भारतीय को गर्व है. 83वें स्थापना दिवस की सीआरपीएफ के जवानों को शुभकामनाएं देता हूं और उनकी राष्ट्रसेवा व समर्पण को सलाम करता हूं.