वैक्सीन से मिलती है अधिक दिनों तक मजबूत इम्यूनिटी, कोरोना से बचाव का उपाय बता रहे हैं CSIR के निदेशक
Corona vaccine : डॉ अनुराग ने कहा कि तकनीक की सहायता से ही हमारे फ्रंटलाइन वर्कर और स्वास्थ्य कर्मचारियों को कोरोना से लड़ने के लिए आधुनिक किस्म के संसाधन जैसे प्रभावी जांच किट, सेल्फ प्रोटेक्शन किट, मॉलीक्यूलर सर्विलांस मैकेनिज्म, दवाएं और अन्य डिजिटल उपकरण उपलब्ध हो सके. तकनीक की सहायता से ही हम वायरस के म्यूटेशन को ट्रैक कर पाए, कोरोना जांच के लिए भारतीय किट को विकसित कर पाए, पर्याप्त मात्रा में दवा और उपकरणों को बना सके.
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कोरोना से बड़ी आबादी के बचाव का वैक्सीन ही है एकमात्र तरीका
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पिछले साल सीएसआईआर की 37 लैबोरेटरीज और केंद्रों में कराया सीरो सर्वेक्षण
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केवल जांच और इलाज में ही नहीं, बल्कि तकनीकी मदद से ही लड़ी जा रही है लड़ाई
Corona vaccine : केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र में कोरोना वायरस का प्रकोप एक बार फिर शुरू हो गया है. देश में लाखों फ्रंटलाइन वर्कर और स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना का टीका लगा दिया गया है. इस बीच, इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बॉयोलॉजी (सीएसआईआर) के निदेशक डॉ अनुराग अग्रवाल ने कहा है कि कोरोना से बचाव का एकमात्र तरीका वैक्सीन ही है, जो लोगों को अधिक दिनों तक मजबूत इम्यूनिटी प्रदान करता है. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि आधुनिक तकनीक और वैक्सीन से देश की बड़ी आबादी को संक्रमण से बचाए रखने में मदद मिल रही है.
तकनीकी सहायता से हो रहा बचाव
डॉ अनुराग ने कहा कि तकनीक की सहायता से ही हमारे फ्रंटलाइन वर्कर और स्वास्थ्य कर्मचारियों को कोरोना से लड़ने के लिए आधुनिक किस्म के संसाधन जैसे प्रभावी जांच किट, सेल्फ प्रोटेक्शन किट, मॉलीक्यूलर सर्विलांस मैकेनिज्म, दवाएं और अन्य डिजिटल उपकरण उपलब्ध हो सके. तकनीक की सहायता से ही हम वायरस के म्यूटेशन को ट्रैक कर पाए, कोरोना जांच के लिए भारतीय किट को विकसित कर पाए, पर्याप्त मात्रा में दवा और उपकरणों को बना सके.
उन्होंने कहा कि केवल जांच और इलाज में ही नहीं, बल्कि तकनीकी मदद से ही लॉकडाउन के समय हमारे घरों में सामान्य दिनचर्या का सामान घर के दरवाजे तक पहुंचा. बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के साथ ही तकनीक की वजह से ही हम कोरोना महामारी के समय अपने परिजनों और दोस्तों के साथ संपर्क में रह सके.
संक्रमण के मामले कम होने पर क्यों है वैक्सीन की जरूरत?
उन्होंने कहा कि इसके दो प्रमुख कारण हैं, जिसकी वजह से कोरोना के मामलों में कमी होने के बावजूद हमें वैक्सीन की जरूरत है. अभी भी ऐसे अधिकांश लोग हैं, जिनमें वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी विकसित नहीं हुई है और इस वर्ग के संक्रमण की चपेट में आने की संभावना अधिक है.
दूसरा, बड़े शहरों में अभी जो कोरोना के मामलों में कमी देखी जा रही है, वह अस्थाई भी हो सकती है. मैं आपको उदाहरण से समझाता हूं कि दिल्ली में तेजी से कोरोना के मामलों में कमी देखी जा रही है, क्योंकि यहां की आधी से अधिक आबादी में कोविड-19 वायरस के प्रति एंटीबॉडी देखी गई है. अन्य अधिक जनसंख्या घनत्व वाले शहरों में भी यही स्थिति देखी गई है, लेकिन यह बदल सकती है.
उन्होंने कहा कि ब्राजील में कुछ समय पहले ही हर्ड इम्यूनिटी देखी गई थी, किंतु वहां 70 फीसदी सीरो पॉजिटिव रिपोर्ट के बाद भी मनौस शहर में संक्रमण तीव्रता के साथ बढ़ा. मनौस में हुए इस आउट ब्रेक की संभवत दो वजह हो सकती हैं. पहली यह कि लोगों का इम्यूनिटी स्तर कम हो रहा हो.
दूसरा, यह भी संभव है कि कोविड के किसी नये स्ट्रेन ने इम्यूनिटी पर हमला किया हो. दोनों ही संभावनाओं पर शोध किया जा रहा है. यह भी देखा गया है कि वैक्सीन से सामान्य इम्यूनिटी की अपेक्षा बेहतर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (इम्यूनिटी) मिलती है. वैक्सीन से मिलने वाली इम्यूनिटी को अधिक दिन तक चलने वाली मजबूत इम्यूनिटी कहा जा सकता है.
सीएसआईआर ने कराया सीरो सर्वेक्षण
डॉ अनुराग के अनुसार, पिछले साल सीएसआईआर की 37 लैबोरेटरीज और केंद्रों में हमने एक सीरो सर्वेक्षण कराया. सर्वेक्षण में सीएसआईआर के वैज्ञानिक, छात्र, सुरक्षा, सफाई कर्मचारी और हाउसकीपिंग के लोगों को शामिल किया गया. इस समूह में न केवल विभिन्न सामाजिक आर्थिक समुदाय के बल्कि, विभिन्न जनसंख्या घनत्व के लोग भी थे.
सर्वेक्षण कोरोना के अति गंभीर समय अगस्त से सितंबर 2020 तक के बीच किया गया. रिपोर्ट में हमने कोरोना के सौ मिलियन मामले देखे, जबकि वास्तव में यह आंकड़ा तीस गुना अधिक था. हमने यह भी देखा कि 50 फीसदी ऐसे लोग जिनमें एंटीबॉडी देखी गई, उनमें कोरोना संक्रमण के किसी भी तरह के लक्षण नहीं देखे गए थे.
संक्रमण के खिलाफ इम्यूनिटी विकसित करती है वैक्सीन
उन्होंने कहा कि वैक्सीन संक्रमण के प्रति इम्यूनिटी विकसित करती है और वैक्सीन लेने के बाद मामूली साइड-इफ़ेक्ट जैसे कि बुखार, दर्द, थकावट आदि की शिकायत हो सकती है, जो सामान्य है. कभी-कभी यह साइड इफेक्ट अधिक गंभीर भी हो सकते हैं, लेकिन ऐसे मामले कम होते हैं. अभी देश या विदेश में जिन टीकों के प्रयोग की अनुमति दी गई है, उन सभी की अच्छी तरह से जांच की गई है और सभी मानव प्रयोग के लिए सुरक्षित पाई गई हैं.
वैक्सीन लगवाना समझदारी का काम
उन्होंने कहा कि वैक्सीन को लेकर मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं और वैक्सीन लगवाना एक समझदारी का काम है. ऐसे सभी लोग जिन्हें संक्रमण जल्दी हो सकता है, उन सभी को वैक्सीन जरूर लगवाना चाहिए. जब भी वैक्सीन लगवाने के लिए मेरे परिवार का नंबर आएगा, तब मुझे अपने परिवार को वैक्सीन लगवाने में किसी भी तरह की कोई झिझक नहीं होगी और यह मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी. मेरी बेटी ने अभी मेडिकल की पढ़ाई में प्रवेश लिया है. वैक्सीन के लिए उसका नंबर आने पर वह वैक्सीन जरूर लगवाएगी.
नियमों का पालन करना जरूरी
डॉ अनुराग ने कहा कि हमें छोटी लेकिन बहुत जरूरी बातों में सावधानी बरतने की जरूरत है. वैक्सीन के अतिरिक्त कोरोना से बचाव के लिए कोविड अनुरूप व्यवहार जैसे मास्क पहन कर रखना, निर्धारित दूरी बनाएं रखना, नियमित हाथ धोना, भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाने से बचना, आदि का पालन कर हम कोरोना संक्रमण से बच सकते हैं. निश्चित रूप से महामारी अभी खत्म नहीं हुई है.
निगरानी तंत्र विकसित करना चुनौतीपूर्ण
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से बचाव की तैयारी में वायरस पर निगरानी रखना या फिर निगरानी तंत्र विकसित करना काफी चुनौती पूर्ण है. केवल कोविड19 ही नहीं, बल्कि अन्य वायरस या बैक्टीरियल संक्रमण के नियंत्रण के लिए भी यह आसान नहीं है. हमें वायरस के किसी भी नये म्यूटेंट के द्वारा होने वाले फैलाव को बढ़ने से रोकना होगा. यूके, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील के उदाहरण से हम यह समझ सकते हैं कि वायरस कभी भी वापस आ सकता है. हमें वैक्सीन बनाने, स्वास्थ्य संसाधनों को मजबूत करने और नई रैपिड जांच किट बनाने पर निवेश करते रहना चाहिए, जिससे महामारी को कम समय में नियंत्रित किया जा सके.
Posted by : Vishwat Sen