नई दिल्ली : भ्रष्टाचार के मामलों की जांच रिटायर अफसरों से नहीं कराने के मामले में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) बैकफुट पर आ गई है. समाचार एजेंसी भाषा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सीवीसी ने कई क्षेत्रों में पैदा हुई गलतफहमी का हवाला देते हुए उस दिशानिर्देश को वापस ले लिया है, जिसमें भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में सेवानिवृत्त कर्मियों को शामिल करने पर रोक लगाई गई थी. बता दें कि सीवीसी ने अगस्त, 2000 में एक आदेश जारी कर कहा था कि विभागों में सतर्कता अधिकारी के रूप में पूर्णकालिक कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए और एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को सलाहकार के रूप में नियुक्त नहीं किया जाए.
बता दें कि सीवीसी ने 13 जनवरी को जारी एक आदेश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, बीमा कंपनियों और केंद्र सरकार के विभागों से कहा था कि भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में सेवानिवृत्त कर्मियों को संलिप्त नहीं किया जाए. आयोग ने यह निर्देश यह पाए जाने के बाद जारी किया कि कुछ संगठन उसके करीब दो दशक पुराने दिशानिर्देश के विपरीत सेवानिवृत्त कर्मचारियों को बतौर जांच अधिकारी नियुक्त कर रहे हैं.
इसके साथ ही सतर्कता आयोग ने कहा था कि भ्रष्टाचार मामलों की जांच के लिए विभागों में सतर्कता अधिकारियों को भी जवाबदेह बनाया जाना बेहद महत्वपूर्ण है. उन्हें सौंपे गए कर्तव्यों के निर्वहन में गोपनीयता से समझौता किए जाने पर उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी आवश्यक रूप से की जाए. आयोग ने कहा है कि अगर सेवानिवृत्त अधिकारियों को जांच अधिकारी बनाया जाता है, तो उन पर कदाचार के लिए कार्रवाई नहीं की जा सकती, क्योंकि रिटायरमेंट के बाद उन पर अनुशासनात्मक नियम लागू नहीं होते हैं.
सीवीसी ने अब पिछले महीने के दिशानिर्देशों को वापस लेने के लिए एक नया परिपत्र जारी किया है. सीवीसी की ओर से 15 फरवरी यानी बुधवार को जारी ताजा आदेश में कहा गया है कि आयोग के संज्ञान में लाया गया है कि विभागीय जांच में सेवानिवृत्त अधिकारियों को नियुक्त करने को लेकर जारी उसके परिपत्र से कुछ क्षेत्रों में गलतफहमी पैदा हुई है. मामले की जांच की गई और उक्त परिपत्र को वापस लिया जाता है.
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मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सीवीसी ने अगस्त, 2000 में एक आदेश जारी कर कहा था कि विभागों में सतर्कता अधिकारी के रूप में पूर्णकालिक कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए और सेवानिवृत्त कर्मचारी को सलाहकार के रूप में नियुक्त नहीं किया जाए. इसके बावजूद देखा गया कि विभागों में जांच के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारियों को नियुक्त किया जा रहा है. इसके बाद आदेश 13 जनवरी को जारी किया गया था. यह आदेश केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों के सचिवों, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों, बैंकों और बीमा कंपनियों सहित अन्य को जारी किया गया.