Cyber Crime: राजस्थान के श्रीगंगानगर शहर में रहने वाले किसान पवन कुमार सोनी (55) उस वक्त साइबर धोखाधड़ी के शिकार हो गये, जब उनके 26 वर्षीय बेटे हर्षवर्धन ने अपने मोबाइल फोन पर आये एक संदेश से एक ‘लिंक’ खोला और कुछ ही मिनट के भीतर चार बार में उनके खाते से आठ लाख रुपये से अधिक निकल गये. दिल्ली के द्वारका में रहने वाले हर्षवर्धन ने अपना फोन नंबर श्रीगंगानगर शहर स्थित भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शाखा में अपने पिता के खाते में दर्ज कराया था.
शनिवार, 7 जनवरी को अपराह्न करीब 3.45 बजे उनके मोबाइल पर संदेश आया, जिसमें कहा गया कि आपका खाता ब्लॉक हो गया है, कृपया अपना केवाईसी(ग्राहक को जानो) अद्यतन करें. हर्षवर्धन के मोबाइल फोन में पहले से ही ‘योनो’ ऐप अपलोड था, लेकिन जैसे ही उसने लिंक पर क्लिक किया, उसके मोबाइल फोन पर एक और ‘डुप्लीकेट’ ऐप डाउनलोड हो गया. हर्षवर्धन ने कहा कि मैंने सोचा कि मुझे इस नए ऐप पर अपना केवाईसी अद्यतन करना है, इसलिए मैंने अपना यूजर आईडी और पासवर्ड दर्ज किया. अचानक, मुझे मेरे पिता के बैंक खाते से पैसे निकलने के संदेश आने लगे और सात मिनट में हमने 8,03,899 रुपये गंवा दिये . बाद में उन्हें एहसास हुआ कि डुप्लीकेट ऐप की वजह से उनका फोन हैक हो गया था.
खाते में उपलब्ध रकम एक ऋण के तहत प्राप्त हुई थी, जो उनके पिता ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत खेती के उद्देश्य से लिया था. हर्षवर्धन ने गंगानगर शहर में रह रहे अपने पिता को फोन किया, जो प्रबंधक को सूचित करने के लिए बैंक पहुंचे. हर्षवर्धन द्वारका में जिला साइबर इकाई गये, जहां उन्हें इस सिलसिले में एक ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने और किसी कार्य दिवस पर कार्यालय आने को कहा गया. बैंक प्रबंधक ने हर्षवर्धन के पिता के अनुरोध पर तेजी से कार्रवाई की और स्थानीय साइबर इकाई को फोन किया. प्रबंधक ने वित्तीय संस्थानों को उन खातों को ब्लॉक करने के लिए एक ईमेल भी भेजा, जिसमें धनराशि अंतरित की गयी थी.
किसान पवन कुमार सोनी ने कहा कि प्रबंधक ने मुझे बताया कि मेरे खाते से धनराशि तीन खातों में भेजी गयी – पांच लाख रुपये और 1.24 लाख रुपये ‘पेयू’ में भेजे गये, 1,54,899 रुपये ‘सीसीएवेन्यू’ में अंतरित किये गये और बाकी 25,000 रुपये एक्सिस बैंक में गये. पेयू और सीसीएवेन्यू दोनों डिजिटल भुगतान कंपनियां हैं जो ग्राहकों और व्यावसायिक उपक्रमों के बीच एक सेतु का काम करती हैं. जब खरीदार ऑनलाइन खरीदारी करते हैं तो वे भुगतान एकत्र करती हैं और उन्हें बैंक खातों में पहुंचाती हैं. सोनी ने कहा कि बैंक प्रबंधक ने मुझे सूचित किया कि पेयू ने उनके ईमेल पर जवाब दिया और कहा कि उसने धनराशि रोक ली है. उसने यह भी कहा कि अगर उसे दो दिनों के भीतर साइबर अपराध विभाग से राशि वापस करने के लिए कोई ईमेल प्राप्त नहीं होता है, तो वह धनराशि मर्चेंट के खाते में भेज देगी.
सीसीएवेन्यू ने कहा कि उसने साइबर अधिकारियों को भी जवाब दिया और 7 जनवरी को सभी जानकारी प्रदान की, जब कंपनी को कथित धोखाधड़ी के बारे में पता चला. इस बीच, सोनी के बेटे हर्षवर्धन ने एक ऑनलाइन शिकायत की और दो दिन बाद सोमवार को प्राथमिकी दर्ज कराने गये, जिसे दर्ज नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि फिर मैं अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त से मिला, जिन्होंने थाना प्रभारी को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया। आखिरकार, धोखाधड़ी होने के तीन दिन बाद 10 जनवरी को प्राथमिकी दर्ज की गयी.
हर्षवर्धन ने इसके बाद द्वारका साइबर इकाई से अनुरोध किया कि पेयू को ईमेल करके धनराशि उनके पिता के खाते में भेजने के लिए कहा जाए. हर्षवर्धन ने आरोप लगाया कि पुलिस कर्मियों ने केवल खोखले वादे किये और कुछ नहीं किया. इसके बाद उनके पिता ने गंगानगर शहर की साइबर इकाई से संपर्क किया. उन्होंने पेयू को पत्र लिखा और उसके खाते में 6,24,000 रुपये वापस आ गये. हालांकि , सोनी एक्सिस बैंक और सीसीएवेन्यू में गयी राशि का पता लगाये जाने की भी मांग कर रहे हैं. सोनी ने कहा कि मेरे अनुरोध पर, मेरे रिश्तेदारों के डिजिटल वित्त पेशेवर दोस्तों ने इसका पता लगाया और पाया कि एक्सिस बैंक में गये 25,000 रुपये कोलकाता के एक एटीएम से निकाले गये.
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सोनी ने कहा कि 1,54,899 रुपये, जो सीसीएवेन्यू में अंतरित किये गये थे, उसमें से 1,20,000 रुपये का इस्तेमाल कोलकाता के एक जियो स्टोर से कुछ सामान खरीदने के लिए किया. सोनी ने कहा कि उन्होंने कोलकाता के संबंधित पुलिस थाने से सम्पर्क किया, लेकिन उन्होंने कहा कि जब तक उन्हें दिल्ली पुलिस से लिखित में नहीं मिलेगा, वे कुछ नहीं करेंगे. उन्होंने दावा किया वह और उनके बेटे ने द्वारका के साइबर इकाई को एक्सिस बैंक, सीसीएवेन्यू और कोलकाता पुलिस को पत्र लिखने का आग्रह किया, लेकिन वे उसे टालते रहे और पत्र 23 जनवरी को लिखा, तब तक बहुत देर हो चुकी थी.