देश में साइबर ठगी के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए बैंक और बीमा कंपनियों ने एक नयी पहल की है. इस पहल के तहत बैंक और बीमा कंपनियां कस्टमर से इलेक्ट्रॉनिक वॉइस रेस्पांस सिस्टम (आइवीआरएस) के जरिये ही कॉल करेंगी. कॉल आने से पहले उपभोक्ता के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी आयेगा. यदि कस्टमर केयर से कॉल बिना ओटीपी के आती है, तो यह किसी ठग की कॉल मानी जायेगी. अभी विभिन्न बैंकों के अधिकतर कॉल बिना आइवीआरएस के आती हैं.
साइबर अपराधी बैंक कर्मचारी बनकर कॉल कर उपभोक्ता से खाता संबंधी जानकारी लेकर ठगी कर लेते हैं. ट्राइ ने कुछ दिन पहले आइवीआरएस व्यवस्था का ट्रायल किया था, जो सफल रहा. इस व्यवस्था को शुरू करने से पहले दूरसंचार मंत्रालय के निर्देश पर बुधवार को भारत समेत छह देशों के इंजीनियरों को प्रशिक्षण भी दिया.
यहां से प्रशिक्षण लेने के बाद इन देशों के इंजीनियर भी अपने यहां इस व्यवस्था को शुरू कराकर बैंक उपभोक्ताओं के खातों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकेंगे. साथ ही, उपभोक्ताओं को भी जागरूक किया जायेगा कि वह बिना ओटीपी वाले नंबर से आने वाली कॉल को रिसीव न करें. इस व्यवस्था के जनवरी तक शुरू होने की उम्मीद है.
गौरतलब है कि, देशभर में साइबर ठगी के मामले में तेजी से इजाफा हुआ है. पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में साइबर ठगों ने एटीएम पिन और मोबाइल नंबर मांगकर दो लोगों से ठगी की थी. लॉकडाउन के दौरान साइबर ठग फर्जी शॉपिंग वेब बनाकर सैनेटाइजर, कोरोना सेव किट, फेस मास्क पर भारी डिस्काउंट ऑफर देकर ग्राहकों की बैंक डिटेल्स प्राप्त कर उनके साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं.
इसी तरह राजस्थान में खाटूश्यामजी की श्री श्याम मंदिर कमेटी द्वारा वाट्सएप पर लेटर के जरिए सहायता राशि पेटीएम अकाउंट में भिजवाने की मांग की गई है, जिसको लेकर 17 लोगों ने शिकायत दर्ज की है. जाहिर है साइबर ठग खाताधारकों को बैंक बंद होने व एटीएम कार्ड ब्लॉक होने के नाम का झांसा देकर उन्हें ठगी का शिकार बना रहे हैं. शातिर साइबर ठग फ्री रिचार्ज, कोरोना उपचार के लिंक व सरकारी कार्मिक वेतन में लाभ दिलवाने के नाम पर लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं. नौकरी और लॉटरी का लालच देकर भी ये लोगों को ठग रहे हैं.
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Posted by : Pritish Sahay