Cybercrime: देश में साइबर अपराध एक बड़ी चुनौती बन गया है. साइबर अपराध से निपटने के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन साइबर अपराध की घटना लगातार बढ़ रही है. साइबर अपराध के अलावा साइबर हमले राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बन गए है. केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने ‘साइबर सुरक्षा और साइबर अपराध’ विषय पर गृह मंत्रालय की संसदीय परामर्शदात्री समिति के बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें साइबर अपराध के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गयी. बैठक को संबोधित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पिछले कुछ सालों में देश में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विकास हुआ है और इसके साथ ही साइबर अपराध के मामले भी बढ़े हैं.
साइबर स्पेस ‘सॉफ्टवेर’ ‘सर्विसेज’ और ‘यूजर्स’ तीनों का एक जटिल नेटवर्क है. जब तक ‘सॉफ्टवेर’ ‘सर्विसेज’ और ‘यूजर्स’ के माध्यम से साइबर धोखाधड़ी को नियंत्रित नहीं किया जाएगा, तब तक साइबर स्पेस की समस्याओं का समाधान संभव नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गृह मंत्रालय ने साइबर सुरक्षित भारत बनाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं. बैठक में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और बंडी संजय कुमार, समिति के सदस्यों, केंद्रीय गृह सचिव और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. गृह मंत्री ने कहा कि साइबर अपराध के कारण भौगोलिक सीमा खत्म हो गयी है और यह ‘बॉर्डरलेस’ और ‘फॉर्मलेस’ अपराध बन गया है. भारत पिछले एक दशक में डिजिटल क्रांति का साक्षी बना है. ‘डिजिटल क्रांति’ के साइज और स्केल को समझे बिना साइबर क्षेत्र की चुनौतियों का सामना नहीं किया जा सकता है.
डिजिटल अपराध रोकना सरकार का लक्ष्य
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मौजूदा समय में देश के 95 फीसदी गांव डिजिटली कनेक्ट हो चुके हैं और एक लाख ग्राम पंचायत वाई-फाई हॉटस्पॉट से जुड़ चुके हैं. पिछले दस वर्षों में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या साढ़े चार गुना बढ़ी है. वर्ष 2024 में यूपीआई द्वारा कुल 17 221 लाख करोड़ रुपए मूल्य के 246 लाख करोड़ लेन-देन हुए और यह पूरी दुनिया में हुए डिजिटल लेन-देन का 48 फीसदी है. यही नहीं स्टार्ट-अप इकोसिस्टम के मामले में भी भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया है. वर्ष 2023 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में डिजिटल इकोनॉमी का योगदान करीब 32 लाख करोड़ रुपये यानी 12 फीसदी रहा और इससे 15 मिलियन रोजगार का सृजन हुआ. गृह मंत्री ने कहा कि भारत दुनिया में डिजिटल के मामले में तीसरे स्थान पर है. भारत की अर्थव्यवस्था का कुल 20 फीसदी हिस्सा डिजिटल अर्थव्यवस्था में योगदान करता है. गृह मंत्रालय का लक्ष्य है कि साइबर अपराध के मामलों में एक भी एफआईआर दर्ज नहीं हो.
म्यूल अकाउंट्स की पहचान करने का प्रयास जारी
साइबर अपराध से निपटने के लिए सरकार चार स्तरीय रणनीति पर काम कर रही है. अंतर-मंत्रालयी और गृह मंत्रालय में अंतर-विभागीय समन्वय को बढ़ाया गया है. गृह मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय, सर्ट इन, आई4सी, टेलिकॉम और बैंकिंग जैसे विभागों के बीच टेक्नोलॉजी और बैठकों के माध्यम से संवाद किया जा रहा है. साइबर अपराध रोकने के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए हेल्पलाइन 1930 को प्रभावी बनाया गया है. साइबर वित्तीय धोखाधड़ी को देखते हुए ‘1930’ हेल्पलाइन नंबर कार्ड ब्लाक करने जैसे कई सुविधा मुहैया करा रहा है. उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग और रिजर्व बैंक तथा अन्य सभी बैंक के साथ समन्वय से म्यूल अकाउंट्स(जिस अकाउंट्स में धोखाधड़ी के पैसे जमा होते है) की पहचान की व्यवस्था बनाने के लिए प्रयास जारी है. आई4सी पोर्टल पर 1 लाख 43 हजार एफआईआर दर्ज की गई है और 19 करोड़ से अधिक लोगों ने इस पोर्टल का उपयोग किया है.