48 घंटे में गंभीर चक्रवाती तूफान में तब्दील हो चुका है ‘बिपरजॉय’, जानें इस तीव्रता की वजह और क्या होगा असर

मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि तूफान 12 जून तक एक बेहद गंभीर चक्रवात की ताकत को बनाये रखेगा. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) का मानना है कि समुद्र की गर्म सतह का तापमान इस तूफान की तीव्रता में योगदान दे रहा हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 9, 2023 1:22 PM

-निशांत-

अरब सागर में उठे चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ ने फिलहाल काफी गंभीर रूप अख्तियार कर लिया है. आईएमडी के अनुसार बिपरजाॅय का असर केरल, कर्नाटक और गोवा पर पड़ेगा. यह चक्रवाती तूफान उत्तर से उत्तर पश्चिम की ओर बढ़ेगा, इसकी संभावना जतायी गयी है. राहत की बात ये है कि मानसून कुछ दिनों की देरी से कल केरल पहुंच गया. लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि चक्रवात की वजह से मानसून की गति पर प्रभाव पड़ सकता है. यही वजह है कि मौसम विभाग ने मुंबई-गोवा, कर्नाटक-केरल और गुजरात में तूफान को लेकर अलर्ट जारी किया है.

दक्षिण-पश्चिम मानसून में देरी

अरब सागर में इस चक्रवाती तूफान के कारण भारत को इस साल दक्षिण पश्चिम मानसून के आगमन में कुछ देरी का सामना करना पड़ा है. मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि तूफान 12 जून तक एक बेहद गंभीर चक्रवात की ताकत को बनाये रखेगा. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) का मानना है कि समुद्र की गर्म सतह का तापमान और अनुकूल वायुमंडलीय परिस्थितियां इस तूफान की तीव्रता में योगदान दे रही हैं और यह सिस्टम आने वाले 36 घंटों में और तेज हो सकता है.

गंभीर चक्रवातों में 150 प्रतिशत की वृद्धि

अध्ययनों से पता चलता है कि अरब सागर में चक्रवातों की आवृत्ति, अवधि और तीव्रता में वृद्धि हुई है. जहां चक्रवातों की संख्या में 52% की वृद्धि हुई है वहीं बहुत गंभीर चक्रवातों में 150% की वृद्धि हुई है. जलवायु परिवर्तन के कारण अरब सागर का गर्म होना इस प्रवृत्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. पिछले चक्रवातों की तरह चक्रवात बिपरजॉय को समुद्र के बढ़ते तापमान और ग्लोबल वार्मिंग के कारण नमी की उपलब्धता में वृद्धि से लाभ हुआ है. इसके अलावा, पिछले दो दशकों के दौरान अरब सागर में चक्रवातों की कुल अवधि में 80% की वृद्धि हुई है. बहुत गंभीर चक्रवातों की अवधि में 260% की वृद्धि हुई है.

समुद्र की सतह का तापमान बहुत गर्म होता है

जीपी शर्मा (अध्यक्ष- मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन) ने स्काईमेट वेदर से कहा कि समुद्र की सतह का तापमान (एसएसटी) बहुत गर्म होता है, जिससे वातावरण में अधिक गर्मी और नमी आ जाती है. यह प्रणाली को लंबी अवधि के लिए अपनी ताकत बनाये रखने में मदद करेगा. भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून की शुरुआत, जिसके 4 जून के आसपास होने की भविष्यवाणी की गयी थी, चक्रवात की उपस्थिति से प्रभावित हुआ. मानसून की आमद केरल में हो चुकी है लेकिन चक्रवात के विकास के परिणामस्वरूप उस पर असर होना तय है.

जलवायु परिवर्तन का पड़ रहा गंभीर असर

मानसून की शुरुआत के आसपास चक्रवात गतिविधि में वृद्धि और कमजोर मानसून के लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. अरब सागर में चक्रवात की गतिविधि में वृद्धि समुद्र के बढ़ते तापमान और ग्लोबल वार्मिंग के तहत नमी की बढ़ती उपलब्धता से मजबूती से जुड़ी हुई है. सबसे ताजा उदाहरण चक्रवात मोचा है, जो एक बहुत ही गंभीर चक्रवात की तीव्रता तक चला गया. चक्रवात बिपारजॉय भी काफी तेजी से गंभीर रूप धारण कर रहा है. इसने 48 घंटे से भी कम समय में एक गंभीर चक्रवाती तूफान तक की यात्रा को कवर किया है.

चक्रवाती तूफान की ताकत की वजह

समुद्र की सतह का तापमान (SST) आमतौर पर वर्ष के इस समय के दौरान उच्च रहता है. हालांकि, वर्तमान में वे सामान्य गर्म तापमान से 2-3 डिग्री अधिक हैं. इसका मतलब है कि वातावरण में अधिक गर्मी और नमी है, जो चक्रवाती तूफानों को लंबी अवधि तक अपनी ताकत बनाये रखने में मदद करती है. चक्रवात के निर्माण के लिए थ्रेसहोल्ड वैल्यू 26 डिग्री सेल्सियस है, लेकिन वर्तमान में एसएसटी 30-32 डिग्री सेल्सियस की सीमा में हैं. इस वृद्धि को जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र की गर्मी में वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. आईपीसीसी के अनुसार, समुद्र की सतह का तापमान बढ़ गया है और भविष्य में इसके और बढ़ने का अनुमान है. हिंद महासागर में सबसे तेज सतही वार्मिंग हुई है. नतीजतन, गर्म जलवायु में गंभीर उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की तीव्रता बढ़ने की उम्मीद है. कुल मिलाकर, अरब सागर में चक्रवाती तूफान बिपरजॉय की उपस्थिति और दक्षिण पश्चिम मानसून पर प्रभाव डालेगी यह स्पष्ट है.

(लेखक पर्यावरणविद्‌ हैं)

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