भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर चल रहे तनाव भरे माहौल में आज 14वें बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा अपना 85वां जन्मदिन मनायेंगे. ऐसा पहली बार होगा जब मैक्लोडगंज में बिना किसी भव्य समारोह के उनका जन्मदिन मनाया जाएगा. इस मौके पर भारत समेत दुनिया भर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनसे चीन बेचैन जरूर होगा. क्योंकि दलाई लामा हर मंच पर चीन से तिब्बत की आजादी मांग करते आये हैं.
चीन को डर है कि ऐसे माहौल में जब कोरोना संकट को लेकर चीन के खिलाफ दुनिया के सभी देश एकजुट हो रहे हैं , दलाई लामा फिर से तिब्बत की आजादी को लेकर चीन के खिलाफ कोई नयी बात ना कह दें. बता दे की चार जुलाई को आयोजित धर्म चक्र दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन का नाम लिये बगैर उस पर निशाना साधते हुए कहा था कि हम बुद्ध के विचारों से चुनौती से निपटेंगे. दुनिया के सामने असाधारण चुनौतियां हैं, इन चुनौतियों का हल भगवान बुद्ध के आदर्शों से निकल सकता है.
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इस बार अपने जन्मदिन पर दलाई लामा ने अपने साइंस गुरु अमेरिकी भौतिक विज्ञानी डेविड बोह्मा को लेकर एक खास ऑनलाइन स्क्रीनिंग रखी है. उन्होंने ट्वीट कर इस बारे में जानकारी दी थी. आज भी उन्होने ट्वीट कर एक वीडियो संदेश को साझा किया है और बताया है कि उनका जन्मदिन तिब्बत के लोग किस प्रकार मनायें.
शांतिदूत और मानवता का संदेश देने के लिए दलाई लामा की वैश्विक पहचान है. पर तिब्बत की आजादी के लिए चीन के खिलाफ आवाज उठाने के कारण चीन उन्हें आतंकी करार दिया है. दलाई लामा खुद को भारत बेटा मानते हैं क्योंकि तिब्बत पर चीन के कब्जा करने के बाद भारत ने अप्रैल, 1959 में दलाई लामा को तब शरण दी थी. जब वह 23 साल के थे.
बता दें कि भारत और दुनिया भर में रहने वाले धर्मगुरु के अनुयायी अपने घरों पर ही पूजा-पाठ करके धर्मगुरु दलाईलामा का जन्मदिन मनाएंगे. दलाईलामा के निजी सचिव सेटन सामदुप ने बताया कि धर्मगुरु के जन्मदिन पर कोई भी कार्यक्रम आयोजित नहीं होगा.
His Holiness the Dalai Lama's 85th Birthday Message https://t.co/mux2XI0h3x
— Dalai Lama (@DalaiLama) July 6, 2020
दलाईलामा किसान के बेटे हैं हैं. 1933 में 13वें दलाई लामा की मौत के बाद उनकी खोज तेंजिन ग्यात्सो के रूप में तिब्बत के आम्दो प्रांत में दो साल की उम्र में हुई थी. तिब्बत में दलाईलामा सर्वोच्च गुरु और राजनेता होता है. उनका चुनाव वंश परंपरा या वोट से नहीं, बल्कि पुनर्जन्म के आधार पर तय होता है.
Posted By: Pawan Singh