Dalai Lama in Ladakh: दलाई लामा की लद्दाख यात्रा पूरी तरह से धार्मिक, भारत ने दिया जवाब,जानें पूरा मामला

Dalai Lama in Ladakh: तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा लद्दाख पहुंच चुके हैं. ऐसे में एक शीर्ष सरकारी पदाधिकारी ने कहा, दलाई की ये लद्दाख यात्रा ''पूरी तरह से धार्मिक'' है और किसी को भी इस पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 15, 2022 4:11 PM
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Dalai Lama in Ladakh: तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा (Dalai Lama) आज लद्दाख पहुंच चुके हैं. धर्मगुरु लद्दाख में आयोजित दो दिवसीय समारोह में शामिल होंगे. दलाई की ये लद्दाख यात्रा ”पूरी तरह से धार्मिक” है और किसी को भी इस पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. एक शीर्ष सरकारी पदाधिकारी ने यह जानकारी दी. दलाई लामा शुक्रवार को चीन की सीमा से लगे केंद्र शासित प्रदेश पहुंचेंगे और वहां उनके लगभग एक महीने तक रहने का कार्यक्रम है. उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि दलाई लामा सीमावर्ती क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं, क्योंकि वह पहले भी कई बार लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश का दौरा कर चुके हैं.

दलाई लामा की लद्दाख यात्रा धार्मिक

सरकारी पदाधिकारी ने कहा, ”दलाई लामा एक आध्यात्मिक नेता हैं और उनकी लद्दाख यात्रा पूरी तरह से धार्मिक है. उनके दौरे पर किसी को आपत्ति क्यों होनी चाहिए.” पूर्वी लद्दाख में टकराव के कई बिंदुओं पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच सैन्य गतिरोध के बीच आध्यात्मिक नेता की लद्दाख यात्रा से चीन के नाराज होने की आशंका है. इस महीने की शुरुआत में चीन ने दलाई लामा को उनके 87वें जन्मदिन पर बधाई देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना करते हुए कहा था कि भारत को चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए तिब्बत से संबंधित मुद्दों का इस्तेमाल करना बंद कर देना चाहिए. वहीं भारत ने चीन की आलोचना को खारिज करते हुए कहा था कि दलाई लामा देश के सम्मानित अतिथि हैं.


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दो सालों में धर्मशाला के बाहर दलाई लामा की यह पहली यात्रा

पिछले दो वर्षों में हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला के बाहर दलाई लामा की यह पहली यात्रा है. पदाधिकारी ने कहा, दलाई लामा इससे पहले भी लद्दाख का दौरा कर चुके हैं. उन्होंने तवांग (अरुणाचल प्रदेश) का भी दौरा किया था, लेकिन महामारी के कारण पिछले दो वर्षों में वह कोई यात्रा नहीं कर सके. तिब्बती आध्यात्मिक नेता ने गुरुवार को जम्मू में कहा था कि चीन में अधिक से अधिक लोग यह महसूस करने लगे हैं कि वह स्वतंत्रता नहीं बल्कि तिब्बती बौद्ध संस्कृति की सार्थक स्वायत्तता और संरक्षण की मांग कर रहे हैं. दलाई लामा 1959 में तिब्बत से पलायन के बाद से भारत में रह रहे हैं. (भाषा)

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