Dandi March : जब एक मुठ्ठी नमक उठाकर महात्मा गांधी ने अंग्रेजी हुकूमत को दी थी चेतावनी, पीएम मोदी इस यात्रा के जरिये क्या देना चाहते हैं संदेश?
आजादी का अमृत महोत्सव : दांडी मार्च आज से 91 साल पहले 12 मार्च 1930 में शुरु हुआ था. इस सविनय आंदोलन का उद्देश्य अंग्रेजों के उस कानून का विरोध करना था जिसके जरिये उन्होंने नमक पर कर लगाया था. चूंकि नमक आम लोगों के जरूरत की बहुत ही अहम चीज थी, इसलिए गांधी जी ने इस कर का विरोध किया था और इसे वापस लेने के लिए कानून भंग किया था.
-
2021 से शुरु हो रहा है आजादी का 75वां साल
-
दांडी मार्च की शुरुआत 12 मार्च 1930 में हुई थी
-
महात्मा गांधी ने 390 किलोमीटर की यात्रा पैदल की थी
Azadi ka Amrit Mahotsav : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज साबरमती आश्रम से आजादी का अमृत महोत्सव की शुरुआत की. यह दिन बहुत ही खास है क्योंकि आज ही के दिन महात्मा गांधी ने अंग्रेजों को चुनौती देते हुए उनके नमक कानून के विरोध में दांडी मार्च की शुरुआत की थी. आज से देश में आजादी के 75 साल के जश्न की शुरुआत हुई है, जो 75 दिनों तक चलेगी.
91 साल पहले आज ही शुरू हुआ था दांडी मार्च
दांडी मार्च आज से 91 साल पहले 12 मार्च 1930 में शुरु हुआ था. इस सविनय आंदोलन का उद्देश्य अंग्रेजों के उस कानून का विरोध करना था जिसके जरिये उन्होंने नमक पर कर लगाया था. चूंकि नमक आम लोगों के जरूरत की बहुत ही अहम चीज थी, इसलिए गांधी जी ने इस कर का विरोध किया था और इसे वापस लेने के लिए कानून भंग किया था. उन्होंने साबरमती से दांडी गांव तक की यात्रा की थी. दांडी एक समुद्रतटीय गांव था, जहां नमक का उत्पादन होता था. नमक का उत्पादन भारत में ही होता था बावजूद इसके अंग्रेजों ने भारतीयों पर कर लगाया था. नमक उत्पादन पर अंग्रेजों का एकाधिकार था जिसे गांधी जी ने तोड़ा और बताया कि भारतीय भी नमक बना सकते हैं. इसमें आत्मनिर्भरता का संदेश था.
Also Read: Yogi Adityanath सरकार का सख्त फैसला सड़क किनारे बनाये गये मंदिर-मस्जिद हटाये जायेंगे, इस तरह किया जायेगा स्थानांतरित
390 किलोमीटर का था दांडी मार्च
महात्मा गांधी का दांडी मार्च 390 किलोमीटर का था. इसकी शुरुआत 12 मार्च को हुई थी और यात्रा पांच अप्रैल को दांडी पहुंची थी. दांडी पहुंचकर महात्मा गांधी ने एक मुठ्ठी नमक हाथ में उठाकर नमक बनाने का संदेश दिया था और यह बताया था कि भारतीय भी नमक बना सकते हैं और उनपर कर नहीं लगाया जा सकता है. इस यात्रा में उनके साथ 70 से अधिक लोग शामिल थे. यह आंदोलन पूरे एक साल तक चला था और मार्च 1931 में लंदन में महात्मा गांधी और लार्ड इरविन के मध्य हुए राजनीतिक समझौते बाद यह आंदोलन समाप्त हुआ था. इस समझौते में के बाद गांधीजी की इन मांगों को अंग्रेजी हुकूमत ने स्वीकार कर लिया था.
-
हिंसा के आरोपियों को छोड़कर बाकी सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा कर दिया जाये.
-
भारतीयों को समुद्र के किनारे नमक बनाने का अधिकार दिया गया.
-
भारतीय अब शराब तथा विदेशी कपड़ों की दुकानों के सामने धरना देने के लिए स्वतंत्र थे.
-
आंदोलन के दौरान त्यागपत्र देने वालों को वापस बहाल किया जाये.
नरेंद्र मोदी भी देना चाहते हैं आत्मनिर्भरता का संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आजादी के 75वें साल में दांडी मार्च का आयोजन करवा रहे हैं. यह मार्च दांडी यात्रा की वर्षगांठ के दिन ही शुरू हुआ है. पीएम मोदी अपनी डांडी यात्रा के जरिये भी भारत की आत्मनिर्भरता का संदेश ही देना चाहते हैं. वे यह बताना चाहते हैं कि भारत आज आत्मनिर्भर होने की ओर अग्रसर है. कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था बदहाल हो गयी है, इस स्थिति से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए मोदी सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की है, जो पांच स्तंभों पर आधारित है. 1.अर्थव्यवस्था, 2 अवसंरचना. 3.प्रौद्योगिकी संचालित प्रणाली, 4. वाइब्रेंट डेमोग्राफी, 5.मांग.
Also Read: PM Kisan Yojana : किसान सम्मान निधि की 8वीं किस्त जल्द होगी जारी, फटाफट कर लें ये
Posted By : Rajneesh Anand