गुजरात चुनाव 2022: अल्पसंख्यक और दलित बहुल दानीलिम्डा सीट पर जानिए इस बार क्या है सियासी समीकरण
Gujarat Election 2022: अहमदाबाद शहर में अल्पसंख्यक और दलित बहुल दानीलिम्डा विधानसभा सीट पर नियंत्रण को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई चल रही है.
Gujarat Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 के दूसरे चरण के लिए मतदान पांच दिसंबर को होना है. बताते चलें कि पहले चरण के लिए गुरुवार को 89 सीटों पर मतदान हुआ था. जबकि, शेष 93 सीटों पर मतदान दूसरे चरण में होगा. आइए जानते हैं कि दानीलिम्डा विधानसभा सीट पर इस बार किनके बीच मुख्य मुकाबला है?
दानीलिम्डा सीट पर बीजेपी-कांग्रेस के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई
अहमदाबाद शहर में अल्पसंख्यक और दलित बहुल दानीलिम्डा विधानसभा सीट पर नियंत्रण को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई चल रही है. करीब एक दशक पहले अस्तित्व में आई इस सीट पर बीजेपी कभी चुनाव नहीं जीती है. हालांकि, पार्टी को इस बार यह मिथक टूटने की उम्मीद है. दरअसल, एआईएमआईएम (AIMIM) और आम आदमी पार्टी (AAP) के भी यहां से प्रत्याशी उतारने के बाद चतुष्कोणीय मुकाबले में बीजेपी को कांग्रेस के विभाजित मतों पर काफी भरोसा है.
दानीलिम्डा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट
अहमदाबाद जिले की 21 विधानसभा सीटों में से एक दानीलिम्डा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है और यहां दूसरे चरण में पांच दिसंबर को चुनाव होना है. यह सीट परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी और 2012 तथा 2017 में यहां हुए विधानसभा चुनावों में मुख्य विपक्षी दल यहां से जीतता रहा है.
अहमदाबाद की 21 में 15 सीटों पर बीजेपी को मिली थी जीत
2017 में अहमदाबाद जिले की 21 सीटों में से बीजेपी ने 15 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि, शेष 6 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था. दानीलिम्डा सीट पर लगभग 2,65,000 पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें से लगभग 34 प्रतिशत अल्पसंख्यक समुदायों के हैं. वहीं, 33 प्रतिशत दलित-अनुसूचित जाति (SC) समुदाय के हैं. बाकी पटेल और क्षत्रिय समुदाय से हैं.
दानीलिम्डा सीट पर कांग्रेस का कब्जा
गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के उपनेता शैलेश परमार 2012 से 50 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल करके दानीलिम्डा सीट पर जीत हासिल करते आ रहे हैं. प्रदेश कांग्रेस के नेता मनीष दोशी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि शैलेश परमार निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के लिए हमेशा उपलब्ध हैं, चाहे उनकी जाति, पंथ, धर्म या राजनीतिक संबद्धता कुछ भी हो. निर्वाचन क्षेत्र के लोग उनसे स्नेह करते हैं और उन्हें पसंद करते हैं. उन्होंने विधानसभा क्षेत्र के लिए बहुत कुछ किया है. स्थानीय कांग्रेस नेताओं के अनुसार, यहां से पार्टी की जीत की वजह एकमुश्त मिलने वाले अल्पसंख्यक वोट और दलित वोटों का एक बड़ा हिस्सा रहा है.
AAP और AIMIM बिगाड़ेगी कांग्रेस का खेल?
अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप और असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम के आने से क्षेत्र का चुनावी गणित गड़बड़ा गया है. कांग्रेस को आशंका है कि आप उसके दलित मतों में सेंध लगा सकती है तो एआईएमआईएम अल्पसंख्यक मतों को विभाजित कर सकती है. निलंबित कांग्रेस नेता और पार्षद जमनाबेन वेगड़ा के निर्दलीय चुनाव लड़ने से चुनौती कठिन हो गई है. आरक्षित सीट होने के चलते एआईएमआईएम ने यहां से एससी उम्मीदवार कौशिकीबेन परमार को प्रत्याशी बनाया है, जबकि आप सुशासन और इलाके की समस्याओं के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है.
व्यापक चुनाव प्रचार में जुटी बीजेपी
दानीलिम्डा सीट को जीतने की कोशिश के तहत बीजेपी यहां और आसपास के इलाकों में व्यापक चुनाव प्रचार कर रही है. इस सीट से बीजेपी उम्मीदवार नरेशभाई व्यास ने पीटीआई-भाषा को बताया कि मौजूदा विधायक के खिलाफ काफी नाराजगी है. उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए कुछ नहीं किया. उनकी हार पहले से तय है. बीजेपी ने 2012 में इस सीट की स्थापना के बाद से कभी भी यहां जीत हासिल नहीं की है, लेकिन हम इस बार मिथक को तोड़ देंगे. यह शर्म की बात है कि आसपास के इलाकों में बीजेपी की मजबूत उपस्थिति होने के बावजूद हम यह सीट नहीं जीत सके. यह हमारे लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई है और हम जीतेंगे.
जानिए स्थानीय लोगों की क्या है राय
बीजेपी नेताओं को एआईएमआईएम के आने से कांग्रेस के मत विभाजन की उम्मीद है. वहीं, स्थानीय लोगों ने हालांकि, अपनी राजनीतिक प्राथमिकताओं को प्रकट करने से इनकार कर दिया. लेकिन, मौजूदा कांग्रेस विधायक के प्रदर्शन पर उनकी राय बंटी हुई थी. स्थानीय निवासी हबीब कहते हैं कि जब भी हमें जरूरत होगी शैलेश परमार हमारे लिए हैं. इस क्षेत्र में अगर पुलिस उत्पीड़न का कोई मुद्दा है तो वह हमारे लिए हैं.
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