उदयपुर (Udaipur Killing) में एक दर्जी की नृशंस हत्या के मामले में जांच के दायरे में आए पाकिस्तानी संगठन दावत-ए-इस्लामी (Dawat e Islami) ने इस साल लगभग एक महीने में राजस्थान के कुछ सीमावर्ती गांवों और कस्बों से 20 लाख रुपये का चंदा इकट्ठा किया था. सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी. इसके अलावा, राजस्थान के एक राजनीतिज्ञ द्वारा संगठन को लगभग दो लाख रुपये कथित तौर पर दान करने का एक मामला भी जांच एजेंसियों के संज्ञान में है.
राजनीतिज्ञ की पहचान जाहिर नहीं की जा रही है. अधिकारियों ने कहा कि एजेंसियों ने जैसलमेर और बाड़मेर के सीमावर्ती इलाकों में संगठन के कई हालिया प्रचार और कट्टरपंथी गतिविधियों पर संज्ञान लिया है, जिसमें अकेले अप्रैल में जैसलमेर जिले में स्थानीय लोगों से 20 लाख रुपये का चंदा एकत्रित करना शामिल है. सूत्रों ने कहा कि संगठन ने धर्मार्थ इस्लामी कार्यों के नाम पर धन एकत्र किया. सूत्रों ने कहा कि एजेंसियों ने यह भी पाया कि संगठन ने सीमावर्ती क्षेत्र में रहने वाले लोगों, विशेष रूप से कम आयु वर्ग के लोगों को लक्षित करते हुए कुछ साहित्य ऑनलाइन और किताबों और पर्चों के रूप में वितरित किया है.
कराची स्थित दावत-ए-इस्लामी की वेबसाइट के मुताबिक, संगठन की स्थापना 1981 में हुई थी. अपनी वेबसाइट पर, संगठन खुद को दुनियाभर में कुरान और सुन्नत के प्रचार के लिए काम कर रहे वैश्विक गैर-राजनीतिक इस्लामी संगठन के रूप में वर्णित करता है. राजस्थान के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एमएल लाठर ने कहा था कि मंगलवार को उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल की निर्मम हत्या के दो मुख्य आरोपियों में से एक गौस मोहम्मद का पाकिस्तान स्थित संगठन से संबंध हैं. डीजीपी ने बताया था कि गौस 2014 में पाकिस्तान के शहर कराची गया था.
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दर्जी कन्हैयालाल की दो मुस्लिम युवकों ने चाकू से हमला कर हत्या कर दी थी और उन्होंने इस नृशंस हत्या का वीडियो बाद में सोशल मीडिया पर डालते हुए कहा था कि वे इस्लाम के अपमान का बदला ले रहे हैं. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने अब मामले की जांच अपने हाथ में ले ली है और कहा है कि दोनों आरोपी देशभर में जनता के बीच आतंक फैलाना चाहते थे. दावत-ए-इस्लामी के कुछ कार्यकर्ता 2011 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या सहित आतंकी घटनाओं में शामिल पाए गए हैं.