-सीमा जावेद-
इस वर्ष भारत के अनेक हिस्सों विशेषकर उत्तरप्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, बिहार आदि में अप्रैल के बाद खासकर जून के महीने में जानलेवा गर्मी पड़ी है. हाल ही में क्लाइमेट सेंट्रल के क्लाइमेट शिफ्ट इंडेक्स (सीएसआई)के रियल टाइम एट्रिब्यूशन से खुलासा हुआ है कि जलवायु परिवर्तन हीटवेव की आग में घी डाल रहा है.
क्लाइमेट सेंट्रल के इस विश्लेषण को सच मानें तो 14-16 जून, 2023 के बीच पूरे उत्तर प्रदेश में चलने वाला मारक हीटवेव जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण कम से कम दो गुना अधिक था. क्लाइमेट सेंट्रल की इस रिपोर्ट के नतीजे भारत में बढ़ते तापमान और हीटवेव के बारे में चिंता पैदा करते हैं और तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर देते हैं.
एक से ऊपर का सीएसआई स्तर साफ तौर पर जलवायु परिवर्तन के कारण होने की ओर इशारा करता है, जबकि दो और पांच के बीच का स्तर दर्शाता है कि जलवायु परिवर्तन ने ऐसे चरम तापमान के होने की संभावना को दो से पांच गुना अधिक बढ़ा दिया है. ध्यान देने वाली बात यह है कि जून में उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्र में चिंताजनक रूप से, सीएसआई स्तर तीन तक पहुंच गया, जो जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले हीटवेव के बढ़ते खतरे को उजागर करता है.
रियल टाइम एट्रिब्यूशन का अध्ययन चरम मौसम की घटनाओं पर मौजूदा समय में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को मापता है. मौसम का अवलोकन और जलवायु मॉडल का उपयोग करके, ये बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन ऐसी घटनाओं की तीव्रता और संभावना को कैसे प्रभावित करता है.
बढ़ते तापमान, लू और मानव-जनित जलवायु परिवर्तन के बीच चिंताजनक संबंध के लिए कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता है. क्लाइमेट सेंट्रल द्वारा संचालित वास्तविक समय एट्रिब्यूशन अध्ययन, चरम मौसम की घटनाओं को बढ़ाने में जलवायु परिवर्तन की भूमिका का ठोस सबूत प्रदान करते हैं. सरकारों, समुदायों और व्यक्तियों को शमन रणनीतियों को लागू करने के लिए सहयोग करना चाहिए, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों, टिकाऊ प्रथाओं और हरित स्थानों की सुरक्षा और विस्तार में परिवर्तन शामिल है. तत्काल कार्रवाई करके, हम हीटवेव से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं और सभी के लिए एक टिकाऊ और लचीले भविष्य की दिशा में काम कर सकते हैं.
(लेखिका पर्यावरणविद् हैं)