Defence: मौजूदा समय में साइबर सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है. विदेशी हैकर्स विभिन्न भारतीय संस्थानों पर साइबर हमले कर डेटा की चोरी कर लेते हैं और काम भी ठप कर देते है. ऐसे में भारतीय सेना के लिए भी साइबर सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है. इस चुनौती से निपटने के लिए सेना की ओर से कई स्तर पर प्रयास हो रहे हैं. लेकिन भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए ‘एक्सरसाइज साइबर सुरक्षा 2024’ की शुरुआत हुई है. इस आयोजन में देश की साइबर सुरक्षा क्षमता को मजबूत करने के विभिन्न पहलुओं पर मंथन किया जाएगा. बुधवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ(सीडीएस) अनिल चौहान ने शिरकत की. इस कार्यक्रम का आयोजन डिफेंस साइबर एजेंसी कर रही है.
सेना में साइबर सुरक्षा को मजबूत करना है मकसद
देश के सभी साइबर सुरक्षा संस्थानों की साइबर सुरक्षा क्षमता बढ़ाना और साइबर खतरे से निपटने के लिए सभी हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने को लेकर मंथन किया जाएगा. साथ ही विभिन्न सैन्य संस्थानों और देश के प्रमुख संस्थानों के बीच साइबर खतरे से निपटने के बीच बेहतर तालमेल को लेकर भी चर्चा होगी. सीडीएस अनिल चौहान ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भावी साइबर खतरे को देखते हुए साइबर क्षेत्र में सभी संस्थानों के बीच बेहतर तालमेल होना जरूरी है. यह कार्यक्रम इस दिशा में एक रोडमैप तैयार करने में मदद करेगा. साइबर सुरक्षा कार्यक्रम का मकसद इसमें शामिल लोगों के साइबर सुरक्षा स्किल को बेहतर बनाना, अच्छे प्रयासों का आदान-प्रदान करना और देश में एक मजबूत साइबर सुरक्षा नेटवर्क तैयार करना है. देश की राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारतीय सेना साइबर क्षेत्र में बेहतरीन काम कर रही है.
साइबर सुरक्षा एक्सपर्ट को भी नियुक्त कर रही है सेना
साइबर हमलों से निपटने के लिए भारतीय सेना साइबर एक्सपर्ट की भी तैनाती कर रही है. साथ ही भारतीय सेना के अधिकारियों को भी साइबर सुरक्षा से निपटने की ट्रेनिंग दी जा रही है. साइबर हमले के खतरे को देखते हुए सेना कई स्तरों पर ऐसे हमलों से निपटने का गुर सीख रही है. इसमें विदेशी एक्सपर्ट की भी मदद ली जा रही है.