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Defence: वर्ष 2047 तक भारतीय सशस्त्र बलों की वैश्विक स्तर पर होगी भूमिका

सशस्त्र बलों की संरचना के विशिष्ट सूची में 30 फीसदी उन्नत प्रणालियां शामिल होंगी और 40 फीसदी वर्तमान पीढ़ी के उपकरण सशस्त्र बलों में रहेंगे. केवल 30 फीसदी प्लेटफ़ॉर्म जो अप्रचलित होने वाले हैं, बलों के पास रहेंगे.

Defence: वर्ष 2047 तक भारतीय सशस्त्र बलों की भूमिका और संरचना में बड़ा बदलाव होगा. भारत की बढ़ती वैश्विक छवि के कारण सशस्त्र बलों की जिम्मेदारी बढ़ना तय है. वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते कद के कारण सशस्त्र बल अन्य देशों की सेनाओं के साथ अधिक सहयोग करेंगे. लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अरुण साहनी ने एक नयी किताब ‘इंडिया इन 2050 : ए विजन फॉर ए सुपर पावर’ में  ‘द इंडिया आर्म्ड फोर्सेज इन 2047: ए क्रेडिबल इंस्ट्रूमेंट्स’ में यह बात लिखी है. साहनी अपनी सेवानिवृत्ति से पहले भारतीय सेना के कमांडर रहे हैं. लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अरुण साहनी का तर्क है कि भारत वर्ष 2047 तक एक मध्यम आय वाला देश होगा और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक अग्रणी शक्ति होगा. आने वाले समय में दुनिया एक बहुध्रुवीय बहुकेन्द्रित बन सकती है. संकेत एक बहुध्रुवीय बहुकेन्द्रित विश्व व्यवस्था की ओर इशारा करते हैं, जिसमें अमेरिका अभी भी प्रमुख शक्ति है, चीन प्रतिस्पर्धा में है और भारत जैसे देश विभिन्न भौगोलिक स्थानों में अग्रणी शक्ति है. 


बाहरी आक्रामकता के लिये तैयार रहना जरूरी


सैन्य दिग्गज ने तर्क देते हुए लिखा है कि देश के सशस्त्र बलों और राष्ट्रीय शक्ति के अन्य तत्वों को राष्ट्रीय दृष्टिकोण को सुविधाजनक बनाने और उसकी सुरक्षा हितों की रक्षा करने के लिए आकार दिया जाएगा. इसके लिए एक समन्वित सैन्य बल की आवश्यकता होगी जिसे या तो क्षेत्रीय हितों की रक्षा के लिए या विदेशी जुड़ावों के लिए आक्रामक रूप से नियोजित किया जा सके. भारतीय सशस्त्र बलों को क्षेत्र से बाहर की जरूरतों के लिए आक्रामक रोजगार के लिए तैयार रहना पड़ सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि सशस्त्र बलों की अंतरिक्ष युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका होगी. अरुण साहनी के मुताबिक निर्बाध रणनीतिक और परिचालन संचार लिंक तथा वास्तविक समय निगरानी और खुफिया कार्य के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण सशस्त्र बलों में निपुणता को बढ़ावा देगा. वायु सेना को विमान स्क्वाड्रनों के अपने वांछित पूरक और ‘दो मोर्चों के खतरों’ से निपटने के साथ-साथ रणनीतिक, परिचालन और सामरिक कार्यों को करने के लिए पर्याप्त संसाधनों से लैस किया जाएगा. इसके अतिरिक्त, वायु सेना अंतरिक्ष में परिसंपत्तियों का दोहन करने में भी सेवा का नेतृत्व करेगी.

ब्लू इकोनॉमी हितों की रक्षा के लिये नौसेना को बदलना होगा

लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अरुण साहनी ने इस बात का जिक्र किया है कि भारतीय नौसेना को भी ‘ब्लू इकोनॉमी’ में भारत के हितों की रक्षा के लिए उपयुक्त रूप से बदलना होगा. उन्होंने तर्क दिया कि ‘ब्लू इकोनॉमी’, जो मत्स्य पालन को से जुड़ी है आने वाले समय में प्रमुख विश्व शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगी. सैन्य कूटनीति सशस्त्र बलों के लिए इनोवेशन करने का एक नया क्षेत्र होगा. सशस्त्र बलों की संरचना पर उन्होंने कहा कि तकनीकी-आधुनिकीकरण बढ़त के लिए 30:40:30 के अनुपात में उपकरण प्रोफ़ाइल की आवश्यकता होगी. सेवा-विशिष्ट सूची में 30 फीसदी उन्नत प्रणालियां शामिल होंगी और 40 फीसदी वर्तमान पीढ़ी के उपकरण सशस्त्र बलों में रहेंगे. केवल 30 फीसदी प्लेटफ़ॉर्म जो अप्रचलित होने वाले हैं, बलों के पास रहेंगे. गौरतलब है कि लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) साहनी को व्यापक सैन्य परिचालन अनुभव के साथ पीवीएसएम (परम विशिष्ट सेवा पदक) से सम्मानित किया जा चुका है. 

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