रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज संसद में चीन मामले पर बयान दिया. उन्होंने संसद को आश्वस्त किया कि हम हर परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि भारत पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण संबंध चाहता है लेकिन अगर कोई हमारी संप्रभुता पर हमले की कोशिश करेगा तो हम जवाब देना भी जानते हैं. उन्होंने बताया कि हमारी सेना के हौसले बुलंद हैं और सरकार उनके साथ मजबूती से खड़ी है. भारत ने चीन को अवगत कराया है कि भारत-चीन सीमा को जबरन बदलने का प्रयास अस्वीकार्य है. रक्षा मंत्री ने संसद में कहा कि भारत-चीन सीमा पर पारंपरिक सीमांकन को चीन स्वीकार नहीं करता है, जिसके कारण दोनों देशों के बीच तनाव है.
रक्षा मंत्री ने संसद को बताया कि गलवान घाटी और पैंगोंग में दरअसल हुआ क्या था. चीन ने एलएसी के निकट भारी संख्या में सैनिकों को तैनात किया. अप्रैल महीने से लद्दाख में चीन की ओर से सैनिकों और हथियारों की तैनाती में वृद्धि देखी गयी थी. जिसके बाद भारतीय सेना ने भी इसका जवाब देने के लिए सीमा पर जवानों की तैनाती की क्योंकि इस इलाके में लद्दाख, गोगर, पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर कई फ्रिक्शन प्वाइंट हैं.
रक्षा मंत्री ने लोकसभा में बताया कि चीन ने मई महीने में कई बार भारत की सामान्य पेट्रोलिंग में बाधा पहुंचाने की कोशिश की और कई जगहों पर तनाव की स्थिति बनी और झड़प की स्थिति बनी. 15 जून को गलवान घाटी में झड़प हुई और हमारे जवानों ने चीनी सैनिकों का बहादुरी से सामना किया और शहीद हुए और चीन को भी भारी क्षति हुई. इसके बाद भी मई महीने में चीनी सैनिकों ने एलएसी पर कई इलाकों में घुसपैठ की कोशिश की जिसे हमारी सेना ने विफल कर दिया.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि लद्दाख में हमारी 38,000 वर्ग किलोमीटर की जमीन अवैध कब्जे में है. 1988 के बाद से दोनों देशों में द्विपक्षीय वार्ता के लिए संबंध सुधरे और वार्ता शुरू हुई. 1993 और 1996 में यह समझौता हुआ कि जब तक दोनों देश सीमा संबंधी विवाद को सुलझा नहीं लेते वे एलएसी का सम्मान करेंगे और यहां कम से कम सेना तैनात करेंगे. लेकिन 2003 के बाद से चीन ने अपने रवैये में परिवर्तन कर लिया और वह अब एलएसी के सम्मान को लेकर प्रतिबद्ध नहीं है जिसके कारण कई जगहों पर फ्रिक्शन की स्थिति बन रही है.
Posted By : Rajneesh Anand