Defense: सरकार रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाया है. रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार की कोशिश इनोवेशन और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में देश को वैश्विक स्तर पर एक हब के तौर पर विकसित करने की है. डिफेंस टेक्नोलॉजी एसिलेरेशन पर डीआरडीओ-इंडस्ट्री द्वारा आयोजित वर्कशॉप में यह बात सामने आयी कि रक्षा क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए रक्षा क्षेत्र को आगे आना होगा. हाल के वर्षों में रक्षा क्षेत्र में व्यापक बदलाव आया है. तकनीक के कारण परंपरागत युद्ध अब गैर परंपरागत युद्ध में बदल गया है और इसके कारण रक्षा क्षेत्र के समक्ष नयी चुनौतियां सामने आयी है.
अब युद्ध ड्रोन, साइबर, जैव और स्पेस के क्षेत्र में लड़े जा रहे हैं. ऐसे माहौल में डिफेंस क्षेत्र में रिसर्च एंड डेवलपमेंट को बढ़ावा देना जरूरी है. वर्क शॉप को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अच्छी बात है कि वैज्ञानिक, शिक्षाविद, स्टार्टअप, सूक्ष्म एवं लघु उद्योग और युवा उद्यमी देश के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं. तकनीक के बदलाव के इस दौर में निजी क्षेत्र की भागीदारी महत्वपूर्ण हो गयी है. निजी क्षेत्र तेजी से हो रहे बदलाव और नये इनोवेशन करने में सक्षम है. भारत सरकार रक्षा क्षेत्र में तकनीक और इनोवेशन को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. इस मामले में डीआरडीओ का योगदान सराहनीय है.
स्टार्टअप और रिसर्च को बढ़ावा देने लिए उठाए गए है कई कदम
केंद्र सरकार ने रक्षा क्षेत्र में इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड को शुरू किया गया है. इस फंड के तहत उद्योग जगत को प्रोजेक्ट की कीमत का 90 फीसदी मदद सरकार की ओर से दिया जाता है. इस फंड के तहत 50 करोड़ रुपये की मदद दी जाती है, जो स्टार्टअप और सूक्ष्म एवं लघु उद्योग के लिए पर्याप्त है. इस योजना के तहत 79 प्रोजेक्ट को मंजूरी दी जा चुकी है और 18 प्रोजेक्ट में नयी तकनीक का सफलतापूर्वक विकास किया गया है. कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डेयर टू ड्रीम 5.0 को लांच किया.
इसका मकसद रक्षा क्षेत्र में नयी तकनीक विकसित करने के लिए युवा उद्यमी और स्टार्टअप को प्रोत्साहित करना है. इस दौरान डेयर टू ड्रीम 4.0 के विजेताओं को रक्षा मंत्री ने सम्मानित किया. विजेताओं ने ड्रोन से निपटने की तकनीक, गोली चलने वाले क्षेत्र का पता लगाने के लिए आधुनिक एकास्टिक सिस्टम, टारगेट का सटीक पता लगाने सहित कई नयी तकनीक का विकास किया है. टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड से देश में कई रक्षा तकनीक का हस्तांतरण निजी क्षेत्र को किया गया है और सेना इन तकनीकों का इस्तेमाल कर रही है और इसका व्यापक पैमाने पर उत्पादन शुरू हो चुका है.
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