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Defense: बदलते सुरक्षा माहौल में सशस्त्र बलों को सशक्त बनाने की जरूरत

लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) केजे सिंह के मुताबिक दुनिया बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर की पृष्ठभूमि में गलियारों के टकराव की ओर बढ़ रही है. इसलिए भारतीय शस्त्र बलों को भारतीय प्रायद्वीप में व्यवधान के जोखिमों के लिए तैयार रहने की जरूरत है.

Defense: पिछले कुछ दशकों में भारत के आर्थिक इंजन अब चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद सहित प्रायद्वीपीय भारत के अन्य हिस्सों में केंद्रित हैं. परंपरागत रूप से सशस्त्र बलों को पश्चिमी और पूर्वी क्षेत्र में राष्ट्रीय सीमाओं पर खतरे की धारणाओं के लिए रेखांकित किया जाता है. लेकिन अब यह आवश्यक है कि रणनीतिक मामलों के प्रमुख पहलू के रूप में आर्थिक सुरक्षा के बीच सशस्त्र बलों को किसी भी बाहरी खतरे के खिलाफ प्रायद्वीपीय भारत में आर्थिक केंद्रों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त बदलाव करना चाहिए. लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) केजे सिंह ने हाल ही में भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी को अपनी लिखी पुस्तक जनरल्स जोटिंग्स’: नेशनल सिक्योरिटी, कन्फ्लिक्ट्स एंड स्ट्रैटेजीज’ भेंट करने के बाद दिल्ली के प्रेस क्लब में कुछ कुछ चुनिंदा पत्रकारों के साथ बातचीत में यह बात कही.

कमांड सेंटर पर तैयार हो थिंक टैंक


लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) केजे सिंह ने कहा कि प्रायद्वीपीय भारत के जोखिम प्रोफाइल का आकलन करने की आवश्यकता है. भारत की बढ़ती आर्थिक प्रोफाइल को सुरक्षा टेम्पलेट की आवश्यकता है. क्षेत्रीय आर्थिक विकास केंद्रों को मजबूत सुरक्षा व्यवस्था के साथ सुरक्षा आकलन की आवश्यकता है. जनरल सिंह ने कहा कि सशस्त्र बलों द्वारा कमांड सेंटर स्तरों पर थिंक टैंक को तैयार करने और उसको आगे बढ़ाने की जरूरत है. हमने कुछ शुरुआत की है. लेकिन हमें बारीक पहलुओं पर गौर करने और उच्च स्तर के पेशेवर दृष्टिकोण को पेश करने की आवश्यकता है. ध्यान रखा जाना चाहिए कि कई केंद्रों पर बने थिंक टैंक में दोहराव न हो. जनरल सिंह ने भारतीय सेना की सिक्किम कोर का भी नेतृत्व किया है. उन्होंने पूर्वी क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों का जवाब देने के लिए बलों के पुनर्गठन का भी मामला उठाया. उन्होंने जोर देकर कहा कि केंद्रीय सशस्त्र सुरक्षा बलों को भी इस तरह से सशक्त बनाने की आवश्यकता है कि वे बदलते सुरक्षा जोखिम प्रोफाइल से पर्याप्त रूप से निपट सकें.

यूक्रेनी पक्षों में आ रही है थकान

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यूक्रेन युद्ध से संबंधित सवाल के जवाब में केजे सिंह ने कहा कि पश्चिमी सहयोगियों द्वारा पर्याप्त सहयोग न मिलने के कारण यूक्रेनी पक्षों में थकान आ रही है. “पहली परिभाषित प्रवृत्ति यह है कि गतिज बल के प्रयोग का प्रभाव और उपयोगिता सीमित है. यह निश्चित रूप से निर्णायक अंतिम स्थिति के लिए पर्याप्त नहीं है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा तथाकथित विशेष अभियान, जिसे कीव पर कब्जा करने और डी-नाज़ीफिकेशन की आड़ में शासन परिवर्तन को प्रभावित करने, तटस्थता सुनिश्चित करने या पश्चिमी शक्तियों को दूर रखने के लिए डिज़ाइन किया गया था. जिस युद्ध को दो सप्ताह में पूरा करने की योजना बनाई गई थी, वह तीसरे वर्ष में प्रवेश कर गया है. उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि दोनों पक्षों (यूक्रेन और रूस) द्वारा योजनाबद्ध जवाबी हमले नगण्य प्रगति के साथ गतिरोध में हैं.

गलियारों के बीच टकराव की ओर बढ रहा है विश्व


मध्य पूर्व से संबंधित सवाल के जवाब जनरल ने कहा कि लंबे समय तक चलने वाले सैन्य संघर्ष अब विश्व मंच पर आदर्श बन गए हैं. वहीं बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव से संबंधित सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि दुनिया बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर (आइएमईसी) की पृष्ठभूमि में गलियारों के टकराव की ओर बढ़ रही है. भू-अर्थशास्त्र प्रतिबंधों के माध्यम से लाभ उठाया जा रहा है, विशेष रूप से ऊर्जा सुरक्षा में. ऐसा भी प्रतीत होता है कि सचमुच में बीआरआई और आईएमईसी के बीच गलियारों के टकराव के रूप में दुनिया आगे बढ़ रही है.

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