Rajnath Singh: देशभर में दशहरा का त्योहार मनाया जा रहा है. पीएम मोदी हिमाचल के कुल्लू में दशहरा मनाएंगे तो संघ कार्यालय में भी शस्त्र पुजा के बाद आरएसएस ने विजयादशमी का त्योहार मनाया. ऐसे में हर बार की परंपरा के अनुसार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार की सुबह शस्त्र पूजा की. राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड के चमोली के औली सैन्य स्टेशन में सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे की उपस्थिति में हथियारों के साथ अनुष्ठान किया.
देश हमारे सशस्त्र बलों के हाथों में सुरक्षित: रक्षा मंत्री
इस दौरान रक्षामंत्री ने कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां हथियारों की पूजा की जाती है. साथ ही उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है कि हमारा देश हमारे सशस्त्र बलों के हाथों में सुरक्षित है. हमारे सशस्त्र बलों और अर्धसैनिक बलों के जवान हमारे देश का गौरव हैं. वहां उन्होंने जवानों के साथ नाश्ता किया और बातचीत की.
देशभक्ति गीत गाते वीडियो क्लिप वायरल
न्यूज एजेंसी एएनआई के द्वारा ट्वीट किए गए एक वीडियो में राजनाथ सिंह को मंत्रों के जाप के बीच सशस्त्र बलों की उपस्थिति में दृश्यों का प्रदर्शन करते हुए देखा जा सकता है. वहीं, एक अन्य वीडियो क्लिप में सैनिकों को देशभक्ति के गीत गा रहे है. उत्तराखंड में सेना के जवानों के साथ दशहरा मनाते हुए औली मिलिट्री स्टेशन देशभक्ति गीत ‘ऐ वतन तेरे लिए’ की आवाज से गूंज उठा. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी जवानों के साथ ताल में ताल मिला रहे है.
Also Read: धर्म आधारित जनसंख्या के असंतुलन से होता है देश का बंटवारा, संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा#WATCH | Auli Military Station resonates with the sound of the patriotic song 'Aye Watan Tere Liye' as Defence Minister Rajnath Singh celebrates Dussehra with army jawans in Uttarakhand pic.twitter.com/1J6t89f0vV
— ANI (@ANI) October 5, 2022
वायु सेना के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर
यह रक्षा मंत्री द्वारा रक्षा क्षेत्र में सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान के विस्तार के लिए राजस्थान के जोधपुर में वायु सेना को भारत में बने हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों के पहले बैच के सौंपे जाने के कुछ ही दिनों बाद आया है. बीते सोमवार को रक्षा मंत्री ने कहा था कि यह वायु सेना के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, स्वतंत्रता के बाद से, भारतीय वायुसेना विदेशी हमले के हेलीकॉप्टरों पर निर्भर थी. इस निर्भरता को कम करने की सख्त जरूरत 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान महसूस की गई थी. यह अब बदलने के लिए तैयार है.