नयी दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में शुक्रवार को रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक हुई. इस बैठक में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के लिए 43 हजार करोड़ रुपये मंजूर किये. साथ ही सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और परिचालन की जरूरतों के लिए करीब छह हजार करोड़ की राशि खर्च करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी.
Availability of new technologies & advanced manufacturing capabilities to Indian industry will be imp step towards enhancing nation’s quest for self-reliance in modern conventional submarine construction & create direct & indirect job opportunities: Defence Minister's Office pic.twitter.com/xtZhP9v1vo
— ANI (@ANI) June 4, 2021
भारतीय नौसेना के लिए मंजूर की गयी राशि से अब देश में ही छह आधुनिका पनडुब्बियों का निर्माण किया जायेगा. ये पनडुब्बियां अत्याधुनिक वायु स्वतंत्र प्रणोदन प्रणाली से लैस होंगी. हिंद महासागर में चीन से मिल रही चुनौतियों के बीच रक्षा मंत्रालय के फैसले से नौसैनिक बेड़े में वृद्धि होगी.
रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि ”रक्षा मंत्रालय ने आज रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में मेक इन इंडिया के तहत लगभग 6,000 करोड़ रुपये की वायु रक्षा बंदूकें और गोला-बारूद की खरीद के भारतीय सेना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.”
साथ ही कहा कि ”भारतीय उद्योग के लिए नयी प्रौद्योगिकियों और उन्नत विनिर्माण क्षमताओं की उपलब्धता आधुनिक पारंपरिक पनडुब्बी निर्माण में आत्मनिर्भरता की देश की खोज को बढ़ाने और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर पैदा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगी.”
बताया जाता है कि रक्षा मंत्रालय ने रूस, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन और दक्षिण कोरिया की कंपनी को पार्टनरशिप में इन पनडुब्बियों को बनाने की मंजूरी दी है. मालूम हो कि मझगांव डॉकायर्ड में फ्रांस के सहयोग से छह स्कोर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां का निर्माण किया जा रहा है. इनमें से तीन पनडुब्बियां भारतीय नौसेना को सौंप दी गयी है.
हिंद महासागर में चीन से मिल रही चुनौतियों के बीच भारतीय रक्षा मंत्रालय के फैसले से भारतीय नौसेना के बेड़े मजबूत होंगे. मालूम हो कि चीन के पास करीब 75-80 पनडुब्बियां हैं. साथ ही वह हिंद महासागर में श्रीलंका, बर्मा, पाकिस्तान आदि स्थानों पर बंदरगाह और मिलिट्री-बेस तैयार कर रहा है. वहीं, भारत के पास अभी 17 पनडुब्बियां हैं.