Defense: देश के सीमावर्ती गांवों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए सरकार की ओर से जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. इसके लिए वाइब्रैंट विलेज योजना की शुरुआत की गयी. इस योजना के तहत इन गांवों को मॉडल गांव के तौर पर विकसित करना है. सरकार इन गांवों को देश का पहला गांव के उद्देश्य के साथ विकसित कर रही है. भारत की भू-सामरिक स्थिति को देखते हुए कई तरह की चुनौतियों का सामना देश कर रहा है और इससे निपटने के लिए सीमा क्षेत्रों का विकास करना सबसे जरूरी है. दिल्ली में आयोजित बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि बिजली और सड़क किसी क्षेत्र के विकास की बुनियाद होता है. सरकार देश के हर क्षेत्र का विकास करने का काम कर रही है. सीमा क्षेत्र के विकास के कारण आज कम समय में संवेदनशील क्षेत्रों में सेना की तैनाती हो सकती है. सरकार ने सीमा के पास गांवों के विकास को प्राथमिकता देकर इन लोगों को देश से जोड़ने का काम किया है. सीमा क्षेत्र में सड़क, पुल, सुरंग का निर्माण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए काफी मायने रखता है और साथ ही इन क्षेत्रों में रह रहे लोगों की जिंदगी को आसान बनाने में मदद करता है.
पिछले 10 साल में सीमा क्षेत्र का विकास उल्लेखनीय
पिछले 10 साल में बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन ने 8500 किलोमीटर सड़क और 400 से अधिक स्थायी पुलों का निर्माण किया है. इसके अलावा अटल टनल, सेला एवं शिकुल ला टनल जो दुनिया का सबसे ऊंचा टनल है. इन टनल के निर्माण से सीमा क्षेत्र के विकास में क्रांतिकारी बदलाव आया है. यही नहीं 220 किलो-वोल्ट श्रीनगर-लेह बिजली लाइन का निर्माण कार्य चल रहा है. इससे लद्दाख का सीमावर्ती क्षेत्र नेशनल इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड से जुड़ जायेगा. भारत-नेट योजना के तहत 1500 सीमावर्ती गांवों में हाई-स्पीड इंटरनेट की सुविधा मुहैया करायी गयी है. पिछले चार साल में 7 हजार सीमावर्ती गांवों को इंटरनेट से जोड़ा गया है. वर्ष 2020-23 के दौरान लद्दाख, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में पर्यटकों की संख्या में 30 फीसदी की वृद्धि हुई है. यही नहीं हाल के वर्षों में जम्मू-कश्मीर में भी पर्यटकों की संख्या काफी बढ़ी है. पर्यटकों की संख्या बढ़ने के साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़े हैं.