Defense:पहाड़ी क्षेत्रों में राहत और बचाव अभियान के लिए सेना को दक्ष बनाने में मदद करेगा टीएमआर
भविष्य में भारतीय सेना ऐसी आपदाओं के दौरान और पेशेवर तरीके से राहत और बचाव अभियान चला सके, इसके लिए तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू मदद करेगी. बुधवार को भारतीय सेना ने सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज में टीएमआर के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया.
Defense: पहाड़ी क्षेत्रों में हिमस्खन और अन्य आपदा का खतरा बना रहता है. इस दौरान राहत और बचाव काम चलाना काफी मुश्किल और जाेखिम भरा काम होता है. ऐसे आपदा में राहत और बचाव के काम में सेना को लगाया जाता है. भविष्य में भारतीय सेना ऐसा आपदाओं के दौरान और पेशेवर तरीके से राहत और बचाव अभियान चला सके, इसके लिए तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू मदद करेगी. बुधवार को भारतीय सेना ने सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज (सीएलएडब्ल्यूएस) में तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू (टीएमआर) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया. इस मौके पर सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी भी मौजूद रहे. भारतीय सेना की ओर से सैन्य अभियान (ए) के अपर महानिदेशक मेजर जनरल मनीष लूथरा और टीएमआर की ओर से समर्पित पर्वतारोही और माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले हेमंत सचदेव ने समझौते पर हस्ताक्षर किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि भारतीय सेना और टीएमआर के बीच सहयोग से कठिन हालात में राहत और बचाव अभियान चलाने में सेना और दक्ष होगी.
समझौते से क्या होगा फायदा
इस समझौते का मकसद पहाड़ी इलाकों में भारतीय सेना के राहत और बचाव अभियान को और बेहतर बनाना है. इसके तहत टीएमआर सेना के प्रशिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने में मदद करेगा. ताकि भारतीय सेना हिमस्खलन बचाव के काम में अधिक कौशल के साथ काम कर सके. यह समझौता वर्ष 2016 में उत्तरी कमान के साथ किए गए प्रारंभिक समझौते पर आधारित है, जिसके तहत टीएमआर द्वारा समर्पित हिमस्खलन और बचाव सहायता का गठन किया गया था. वर्ष 2021 और 2024 में पूर्वी और मध्य कमान के साथ बाद में किए गए समझौतों ने इस सहयोग को और आगे बढ़ाया है. मौजूदा समझौता कठिन परिस्थितियों में प्रभावी बचाव अभियान चलाने में भारतीय सेना की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए टीएमआर की विशेषज्ञता का और अधिक मजबूती प्रदान करेगा. टीएमआर की 15 टीमें पहले से ही भारतीय सेना के साथ विभिन्न क्षेत्रों में तैनात हैं. टीएमआर की बचाव टीमें हिमस्खलन-संभावित क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाने में सफल रही हैं.
ReplyForward |