Defense:रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए है. देश के कई रक्षा उपकरणों का निर्माण देश में ही हो रहा है. इस कड़ी में अब रक्षा मंत्रालय ने सुखोई-30 एमकेआई विमान के लिए 240 एएल-31एफपी एयरो इंजन खरीदने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ एक करार पर हस्ताक्षर किया है. इस सौदे पर 26000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने का अनुमान है. सोमवार को रक्षा सचिव गिरिधर अरामने और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी की उपस्थिति में रक्षा मंत्रालय और एचएएल के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किया गया. हाल में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने इसकी मंजूरी दी थी. इस फैसले से भारत में लड़ाकू विमान के स्क्वाड्रन की संख्या बढ़ने की संभावना है. वायु सेना के पास 42 स्क्वाड्रन होना चाहिए, जबकि मौजूदा समय में इसकी संख्या सिर्फ 30 है. चीन और पाकिस्तान के खतरे को देखते हुए सरकार के फैसले से इसमें वृद्धि होने की संभावना है.
सुखोई-30 एमकेआई की क्षमता में होगा इजाफा
इन हवाई इंजनों का निर्माण एचएएल के कोरापुट डिवीजन में किया जाएगा. संभावना है कि इससे देश की रक्षा तैयारियों को मजबूती मिलेगी. साथ ही सुखोई-30 बेड़े की परिचालन क्षमता को बनाए रखने के लिए भारतीय वायुसेना की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी. समझौते के तहत एचएएल हर साल 30 हवाई इंजन की आपूर्ति करेगा. समझौते के तहत 8 साल में वायु सेना को सभी 240 इंजन की आपूर्ति हो जायेगी. इन हवाई इंजन के निर्माण में 63 फीसदी उपकरण स्वदेशी होंगे. स्वदेशी उपकरणों के प्रयोग से इंजन के मरम्मत में विदेशी निर्भरता भी काम होगी. सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान रूस ने भारत को दिया है. यह दो सीट और दो इंजन वाला मल्टीरोल फाइटर जेट है और उड़ान के दौरान ही फ्यूल भर सकता है. इस फाइटर प्लेन में 12 टन तक युद्धक सामग्री लोड की जा सकती है. एक बार में 3000 किलोमीटर की उड़ान भर सकता है.