छावला सामूहिक दुष्कर्म केस में DCW ने परिवार की सुरक्षा पर लिया स्वत: संज्ञान, डीसीपी से मांगी रिपोर्ट
छावला सामूहिक दुष्कर्म मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत और हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए इसके दोषियों को बरी करने का फैसला सुनाया है. निचली अदालत और हाईकोर्ट ने इस मामले में दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी. सर्वोच्च अदालत ने 7 अप्रैल 2022 को तीन दोषियों की मौत की सजा पर फैसला सुरक्षित रखा था.
नई दिल्ली : दिल्ली के छावला में वर्ष 2012 में हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले में दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने पीड़ित परिवार की सुरक्षा को लेकर स्वत: संज्ञान लिया है. महिला आयोग ने पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को चिट्ठी लिखकर परिवार की सुरक्षा से संबंधित रिपोर्ट भी तलब किया है. इसके साथ ही, महिला आयोग ने परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस की ओर से उठाए गए कदमों की एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) का ब्योरा भी मांगा है. बता दें कि दिल्ली महिला आयोग ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले के बाद छावला सामूहिक दुष्कर्म मामले के पीड़ित परिवार की सुरक्षा को लेकर यह कदम उठाया है. वर्ष 2012 में दिल्ली के छावला इलाके में 19 साल की उत्तराखंड की एक नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को किया बरी
छावला सामूहिक दुष्कर्म मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत और हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए इसके दोषियों को बरी करने का फैसला सुनाया है. निचली अदालत और हाईकोर्ट ने इस मामले में दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी. सर्वोच्च अदालत ने 7 अप्रैल 2022 को तीन दोषियों की मौत की सजा पर फैसला सुरक्षित रखा था. सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना था कि तीनों की मौत की सजा बरकरार रखना है या नहीं. चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. इसके बाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए तीनों को बरी कर दिया है. पीड़िता पक्ष की वकील चारूवली खन्ना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी. स्थितिप्रग्य साक्ष्यों के आधार पर फैसले में दोषियों को बरी किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करेगा पीड़ित परिवार
वहीं, खबर यह भी है कि दिल्ली में 2012 के छावला सामूहिक दुष्कर्म मामले में पीड़िता के परिवार ने बुधवार को कहा कि वह तीन आरोपियों को बरी करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करेंगे. तीनों पर फरवरी 2012 में 19 वर्षीय युवती का अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म तथा हत्या करने के आरोप थे. महिला का क्षत-विक्षत शव तीन दिन बाद मिला था. पीड़िता के पिता ने सर्वोच्च अदालत के फैसले पर निराशा जताई. उन्होंने कहा कि हम तीनों आरोपियों को बरी करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करेंगे. हम इस पर अंतिम फैसला लेने की प्रक्रिया में हैं और फैसले पर पुनर्विचार के लिए जल्द ही अपील दायर करेंगे. पीड़िता के परिवार ने सभी आरोपियों के लिए मौत की सजा की मांग की है.
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सबूतों के अभाव में बरी किए गए तीनों दोषी
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में दिल्ली के छावला इलाके में 19 वर्षीय युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले में तीन दोषियों को सात नवंबर को बरी करते हुए कहा था कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ स्पष्ट सबूत नहीं पेश कर सका, जिनमें डीएनए प्रोफाइल तथा कॉल रिकार्ड (सीडीआर) से संबंधित साक्ष्य हैं. इस मामले में एक निचली अदालत ने 2014 में तीन आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी और मामले को ‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ करार दिया था. बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्णय को बरकरार रखा. पीड़िता की मां ने सुप्रीम कोर्ट परिसर के बाहर रोते हुए कहा कि 11 साल बाद भी यह फैसला आया है. हम लड़ाई हार गए हैं. मैं इस उम्मीद के साथ जी रही थी. मेरी जीने की इच्छा खत्म हो गई है. मुझे लगा था कि मेरी बेटी को न्याय मिलेगा.