मनमोहन सिंह की हत्या की झूठी सूचना देने वाला आरोपी 18 साल बाद बरी

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की हत्या की साजिश रचने की झूठी सूचना देने के मामले में दिल्ली के न्यू उस्मानपुर थाना में वर्ष 2005 के जुलाई महीने में एक केस दर्ज किया गया था. इसके बाद इसके आरोप में पुलिस ने महेश नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था.

By KumarVishwat Sen | April 19, 2023 7:16 PM

नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की हत्या की साजिश रचने की झूठी सूचना देने के आरोपी व्यक्ति को दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने 18 साल बाद बुधवार को बरी कर दिया है. उस पर आरोप यह था कि उसके आतंकियों के साथ संबंध है और वह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मारने की साजिश में शामिल था. अदालत ने आरोपी के खिलाफ सबूत नहीं होने और करीब 18 साल तक एसटीडी बूथ से झूठी कॉल करने वाले व्यक्ति को पुलिस पहचान भी नहीं कर पाई थी. ऐसी स्थिति में सबूतों के अभाव में अदालत ने आरोपी को बरी करने का फैसला सुनाया है.

18 साल पहले का मामला

बताते चलें कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की हत्या की साजिश रचने की झूठी सूचना देने के मामले में दिल्ली के न्यू उस्मानपुर थाना में वर्ष 2005 के जुलाई महीने में एक केस दर्ज किया गया था. इसके बाद इसके आरोप में पुलिस ने महेश नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था. इस मामले में पुलिस के अलावा जांच एजेंसियों ने भी उससे पूछताछ की. हालांकि, बाद में उसे जमानत मिल गई थी.

अपराध साबित नहीं कर पाई पुलिस

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विपुल संदवावर ने सबूतों के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए आरोपी महेश को बरी करने का आदेश दिया. न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि पुलिस आरोपी महेश के खिलाफ आईपीसी की धारा 182/507 के तहत अपराध साबित नहीं कर पाई, जिसके चलते उसे इस अपराध में दोषी नहीं पाया गया. अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए सबूत आरोपी के अपराध को साबित करने के लिए काफी नहीं हैं.

Also Read: राज्यसभा में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की सीट अंतिम पंक्ति में की गयी, जानें वजह

अभियोजन ने केवल एसटीडी संचालक पर किया भरोसा

इसके साथ ही, अभियोजन पक्ष आरोपी की पहचान उस व्यक्ति के तौर पर नहीं कर पाया, जिस पर यह आरोप लगाया गया था कि उसने ही साजिश रचने की सूचना देने के लिए झूठी कॉल की थी. अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने केवल एसटीडी बूथ के संचालक और मामले के गवाह ललित आनंद पर भरोसा किया, जो जिरह के दौरान भी ठीक ढंग से जवाब दे नहीं सका. उसने खुद कहा कि जिस समय झूठी कॉल की गई थी, उस वक्त वह दुकान में मौजूद नहीं था. ऐसे में, आरोपी पर कोई भी अपराध साबित नहीं हो पाया.

Next Article

Exit mobile version