Delhi Election: चुनाव से पूर्व दिल्ली को कूड़ा और कूड़े के पहाड़ से मुक्ति दिलाने की दिशा में काम शुरू हो गया है. पहले इन साइटों पर बने कुड़े के पहाड़ को हटाने की समय सीमा दिसंबर 2028 तय की गयी थी. इसके खिलाफ भाजपा की ओर से पदयात्रा निकालकर आप सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया था. वहीं आप की ओर से कचरा प्रबंधन में देरी के लिए भाजपा को जिम्मेवार ठहराया जा रहा था.
लेकिन अब दिल्ली नगर निगम(एमसीडी) ने भलस्वा और ओखला लैंडफिल साइट्स पर बायोमाइनिंग के दूसरे चरण की स्वीकृति प्रदान कर दी है. इस परियोजना के तहत भलस्वा में अब दिसंबर के मध्य से काम शुरू होने की उम्मीद जतायी जा रही है. इसके तहत 30 लाख मीट्रिक टन कचरे को संसोधित(प्रसंस्करण) किया जाना है. इस पर लगभग 130 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. गाजीपुर और भलस्वा में कचरे का निपटान जारी है, वहीं ओखला लैंडफिल साइट्स पर 20 लाख टन कचरे का निस्तारण करना है.तीनों लैंडफिल साइट पर लगभग 160 लाख मीट्रिक टन कचरा है.
कूड़े का पहाड़ है चुनावी मुद्दा
गौरतलब है कि एमसीडी की स्टैंडिंग कमेटी की अनुपस्थिति के कारण पिछले एक साल से विलंब से चल रही इन परियोजनाओं को सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद मंजूरी मिली है. इसके साथ ही सेंट्रल दिल्ली में डोर-टू-डोर कचरे के उठाव और स्वच्छता के लिए अन्य एजेंसियों का चुनाव होना बाकी है. बताया जा रहा है कि वर्तमान में इन परियोजनाओं के लिए जो बोलियां आयी है वह बोलियां स्वीकृत बजट से कहीं अधिक है. इसलिए या तो बजट बढ़ाने का निर्णय लिया जाएगा या फिर दूसरी बोलियां आमंत्रित की जायेगी, जिसमें बजट से कम बोली लगाने वाले को इन कामों का जिम्मा दिया जा सकता है.
गाजीपुर और भलस्वा के आसपास रहने वाले व्यक्ति कूड़े के पहाड़ से परेशान है और इसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में आप को उठाना पड़ सकता था. यमुना की सफाई और 24 घंटे पानी की आपूर्ति का वादा भी आप सरकार पर भारी पड़ रहा है. अब इन साइटों पर कूड़े के निस्तारण से इसके आसपास के लोगों को इससे निजात मिलेगी, वहीं सरकार के प्रति लोगों के गुस्सा में भी कमी आ सकती है.क्योंकि इन क्षेत्रों में कूड़े का पहाड़ चुनावी मुद्दा बना हुआ है. क्षेत्र के लोग इसके लिए भाजपा और आप दोनों को कटघरे में खड़ा कर रही है.