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Delhi Election 2025: त्रिकोणीय संघर्ष की संभावना, आप को हो सकता है नुकसान

इस बार के चुनाव में किसी पार्टी के पक्ष में लहर नहीं दिख रही है और वर्ष 2013 के बाद पहली बार कांग्रेस मजबूती से चुनाव लड़ती दिख रही है. कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व भी इस बार चुनाव में आम आदमी पार्टी की सरकार के खिलाफ मुखर है.

Delhi Election 2025: दिल्ली में होने वाला विधानसभा चुनाव के त्रिकोणीय होने की पूरी संभावना है. इस बार के चुनाव में किसी पार्टी के पक्ष में लहर नहीं दिख रही है और वर्ष 2013 के बाद पहली बार कांग्रेस मजबूती से चुनाव लड़ती दिख रही है. कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व भी इस बार चुनाव में आप सरकार के खिलाफ मुखर है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के केजरीवाल और दिल्ली सरकार पर दिए बयान के बाद दिल्ली का सियासी पारा हाई हो गया है. आम आदमी पार्टी के लिए कांग्रेस की दमदार उपस्थिति से परेशानी पैदा होने की संभावना है. भले ही इंडिया गठबंधन के कई सहयोगी दलों ने आम आदमी पार्टी का समर्थन किया है, लेकिन दिल्ली में इन दलों का सियासी जनाधार नहीं है. 


कांग्रेस की सक्रियता और दिल्ली सरकार के खिलाफ नाराजगी के कारण इस बार का चुनाव एकतरफा होने की संभावना नहीं है. दिल्ली में एक-एक सीट पर कड़ी टक्कर के आसार है और ऐसे में चुनाव परिणाम चौंकाने वाला हो सकता है. आम आदमी पार्टी तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने के लिए पूरे दमखम के साथ प्रचार कर रही है. पार्टी ने कई लोकलुभावन वादे किए हैं. वहीं भाजपा भी 27 साल के वनवास को खत्म करने के लिए पूरा जोर लगाए हुए है. भाजपा का फोकस जीतने वाली सीटों पर अधिक है और पार्टी हर बूथ को मजबूत करने के लिए काफी समय से काम कर रही है. वहीं कांग्रेस भले ही सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है, लेकिन पार्टी करीब एक दर्जन सीट को जीतने की उम्मीद कर रही है. 


कांग्रेस का प्रदर्शन तय करेगा चुनावी नतीजा

कांग्रेस की वर्ष 1998 से वर्ष 2013 तक लगातार सरकार रही है. मुख्यमंत्री के तौर पर शीला दीक्षित के कामकाज की चर्चा आज भी दिल्ली के लोग करते हैं. लेकिन भ्रष्टाचार खत्म करने को लेकर बनी आम आदमी पार्टी के उभार के बाद कांग्रेस का जनाधार लगातार कम होता गया और इसका फायदा आम आदमी पार्टी को मिला. वर्ष 2013 के चुनाव में दिल्ली में कांग्रेस के सहयोग से आम आदमी पार्टी की सरकार बनी. लेकिन यह सरकार अधिक दिन नहीं चल सकी और मुफ्त के वादों के सहारे वर्ष 2015 के चुनाव में आम आदमी पार्टी को ऐतिहासिक जीत मिली. फिर वर्ष 2020 के चुनाव में भी मुफ्त की योजनाओं का लाभ आम आदमी पार्टी को मिला और उसे एकतरफा जीत हासिल हुई. दोनों चुनाव में कांग्रेस का मत प्रतिशत कम होता गया. लेकिन मौजूदा समय में आम आदमी पार्टी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे.

इसके अलावा बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण भी लोगों में आम आदमी पार्टी को लेकर पहले जैसा आकर्षण नहीं दिख रहा है. साथ ही इस बार कांग्रेस पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ रही है और कांग्रेस की कोशिश अपना मत प्रतिशत बढ़ाने की है. कई सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार मजबूत स्थिति में है. कांग्रेस की मजबूती का नुकसान आम आदमी पार्टी को होगा. क्योंकि वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में 17 सीटें ऐसी थी, जहां हार-जीत का अंतर 10 हजार वोट से कम का था. इनमें से अधिकांश सीट पर आम आदमी पार्टी को जीत मिली थी. ऐसे में इस बार कांग्रेस की मजबूत दावेदारी से अधिकांश सीटों पर कड़ा मुकाबला होने की संभावना है और यह आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है.  

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