Delhi Election 2025: एग्जिट पोल नहीं कांग्रेस का प्रदर्शन तय करेगा कौन बनेगा दिल्ली का सरताज

एग्जिट पोल के नतीजों से भाजपा भले ही उत्साहित दिख रही है, लेकिन पार्टी की उम्मीद कांग्रेस के प्रदर्शन पर टिकी हुई है. हालांकि इस बार के चुनाव में किसी पार्टी के पक्ष में कोई लहर नहीं दिखी. पिछली बार के मुकाबले मतदान भी कम हुआ. ऐसे में चुनाव नतीजों को लेकर कोई भी दल आश्वस्त नजर नहीं आ रहा है

By Anjani Kumar Singh | February 6, 2025 6:50 PM
an image

Delhi Election 2025: दिल्ली में मतदान संपन्न हो चुका है. अधिकांश एग्जिट पोल में भाजपा सरकार बनने की संभावना जतायी गयी है. एग्जिट पोल के नतीजों से भाजपा भले ही उत्साहित दिख रही है, लेकिन पार्टी की उम्मीद कांग्रेस के प्रदर्शन पर टिकी हुई है. क्योंकि इस बार के चुनाव में किसी पार्टी के पक्ष में कोई लहर नहीं दिखी. पिछली बार के मुकाबले मतदान भी कम हुआ. ऐसे में चुनावी नतीजों को लेकर कोई भी दल आश्वस्त नजर नहीं आ रहा है. आम आदमी पार्टी भले ही एग्जिट पोल के दावों को खारिज कर पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने का दावा पेश कर रही है, लेकिन नेताओं के बयान में पहले जैसा आत्मविश्वास नहीं दिख रहा है. भाजपा और आम आदमी पार्टी के नेताओं का मानना है कि इस बार कांग्रेस ने पूरी मजबूती से चुनाव लड़ा और कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया.

जानकारों का कहना है कि कांग्रेस की मजबूती का सीधा नुकसान आम आदमी पार्टी को हो सकता है. क्योंकि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का वोट बैंक एक जैसा है. मुस्लिम, दलित और झुग्गी के मतदाता पहले कांग्रेस के कोर वोटर हुआ करते थे और मुफ्त की योजनाओं के कारण यह वर्ग आम आदमी पार्टी का कोर वोटर बन गया और पिछले दो चुनाव में पार्टी को ऐतिहासिक जीत मिली. इस बार भाजपा की ओर से आम आदमी के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए व्यापक अभियान चलाया गया, लेकिन चुनाव परिणाम तय करेगा कि पार्टी इस अभियान में कितनी कामयाब हुई.

 
मुस्लिम बहुल इलाकों में ओवैसी की एंट्री से बदला माहौल

 मुस्लिम बहुल इलाकों में इस बार अन्य सीटों के मुकाबले अधिक मतदान हुआ. दिल्ली में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 13 फीसदी है और 8 सीटों पर मुस्लिम मतदाता हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं. पिछले दो चुनाव से मुस्लिम बहुल सीटों पर आम आदमी पार्टी बड़े अंतर से चुनाव जीतने में कामयाब रही. लेकिन इस बार कांग्रेस और ओवैसी की पार्टी के आक्रामक अभियान से भी आम आदमी पार्टी को नुकसान होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. दोनों दलों ने नागरिकता संशोधन कानून के बाद दिल्ली दंगों के बाद केजरीवाल की उदासीनता को बड़ा मुद्दा बनाया. इससे मुस्लिम बहुल इलाकों में आम आदमी पार्टी को लेकर पहले जैसा समर्थन नहीं देखा गया. 

भले ही ओवैसी की पार्टी एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर सके, लेकिन आम आदमी पार्टी के खिलाफ माहौल बनाने का काम किया और इससे आम आदमी पार्टी को नुकसान हो सकता है. संभावना है कि कई मुस्लिम बहुल सीटों पर कांग्रेस, ओवैसी और आप में वोट बंटने के कारण भाजपा उम्मीदवार को जीत मिल सकती है. मौजूदा चुनावी समीकरण आम आदमी पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. अब सब कुछ चुनाव परिणाम पर टिका हुआ है, जिससे यह पता चल पायेगा कि किस दल की रणनीति कारगर रही.

Exit mobile version