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Delhi Election 2025: दिल्ली चुनाव परिणाम से तय होगा इंडिया गठबंधन का भविष्य

दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी को जीत मिलती है तो ऐसा माना जाएगा कि चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस का सहयोग जरूरी नहीं है. वहीं अगर आम आदमी पार्टी को हार मिलती है तो इसका ठीकरा भी कांग्रेस पर फोड़ा जायेगा. सहयोगी दल आरोप लगाएंगे कि कांग्रेस ने जानबूझकर आप को हराने के लिए काम किया. यही नहीं आप की हार क्षेत्रीय दलों के लिए परेशानी बढ़ाने वाली हो सकती है.

Delhi Election 2025: दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच तल्खी का असर इंडिया गठबंधन की सेहत पर दिख रहा है. पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में दिल्ली में आप और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन गठबंधन को सफलता नहीं मिल पायी. हालांकि लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा. लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आप के बीच सीट बंटवारे पर सहमति नहीं हाे पायी और चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. हरियाणा में मिली हार के बाद इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों ने कांग्रेस के रवैये पर सवाल उठाना शुरू कर दिया.

फिर महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा. महाराष्ट्र में भी कांग्रेस के रवैये को लेकर सहयोगी दलों के बीच टकराव दिखा. महाराष्ट्र के चुनाव में इंडिया गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा. महाराष्ट्र में मिली हार के बाद इंडिया गठबंधन में नेतृत्व को लेकर सवाल उठने लगे. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने की बात कही, जिसका समर्थन सपा, राजद, उद्धव ठाकरे की शिवसेना, शरद पवार की पार्टी  और आम आदमी पार्टी ने किया.

फिर दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और आप के बीच समझौता नहीं हो पाया. दिल्ली के चुनाव में इंडिया के सहयोगी दल तृणमूल कांग्रेस, सपा, उद्धव ठाकरे की शिवसेना, शरद पवार की पार्टी ने आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की घोषणा की है. इससे साफ जाहिर होता है कि इंडिया गठबंधन में कांग्रेस को लेकर सहयोगी दलों के रवैये से कई तरह के सवाल उठते हैं. 


दिल्ली के परिणाम गठबंधन राजनीति की तय करेंगे दिशा

दिल्ली के चुनाव परिणाम सिर्फ आम आदमी पार्टी के लिए ही नहीं बल्कि इंडिया गठबंधन का भविष्य तय करेंगे. अगर दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी को जीत मिलती है तो ऐसा माना जाएगा कि चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस का सहयोग जरूरी नहीं है. वहीं अगर आम आदमी पार्टी को हार मिलती है तो इसका ठीकरा भी कांग्रेस पर फोड़ा जायेगा. सहयोगी दल आरोप लगाएंगे कि कांग्रेस ने जानबूझकर आप को हराने के लिए काम किया. यही नहीं आप की हार क्षेत्रीय दलों के लिए परेशानी बढ़ाने वाली हो सकती है. कांग्रेस यह बताने की कोशिश करेगी कि बिना उसके सहयोग के भाजपा को हराना संभव नहीं है.

आप की हार से क्षेत्रीय दलों के लिए अपने वोट बैंक को बचाए रखने की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. कांग्रेस जिस तरह जातिगत जनगणना, मुस्लिम हितों और दलितों को लेकर आक्रामक है, उसका नुकसान भाजपा से अधिक क्षेत्रीय दलों को होने का डर है. क्योंकि कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों का वोट बैंक एक समान है. कांग्रेस के मजबूत होने से क्षेत्रीय दलों को अपना जनाधार कम होने का डर है. यही वजह है कि इस साल के अंत में होने में बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राजद अभी से कांग्रेस पर दबाव बनाने की रणनीति अपना रही है.

वहीं सपा केजरीवाल को समर्थन देकर कांग्रेस को साफ संकेत दे चुकी है कि उत्तर प्रदेश में सपा ही ड्राइवर सीट पर रहेगी और उसकी शर्तों पर कांग्रेस को गठबंधन करना होगा. दिल्ली चुनाव परिणाम इंडिया गठबंधन के भविष्य के लिए बड़ा संदेश देने वाला होगा. 

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