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Delhi Election 2025: मुफ्त वादों के बाद केजरीवाल ने चला जाति का कार्ड

महिलाओं के लिए सम्मान योजना, बुर्जुगों के लिए स्वास्थ्य योजना, पुजारियों और ग्रंथियों को हर महीने 18 हजार रुपये देने का वादा करने के बाद केजरीवाल ने अब जाति कार्ड चला है. केजरीवाल ने आरोप लगाया कि पिछले 10 साल से भाजपा ने दिल्ली में जाटों को पिछड़ी वर्ग की सूची में शामिल नहीं कर बड़ा धोखा किया है.

Delhi Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव में तीसरी बार जीत हासिल करने के लिए आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल हर दांव आजमा रहे हैं. महिलाओं के लिए सम्मान योजना, बुर्जुगों के लिए स्वास्थ्य योजना, पुजारियों और ग्रंथियों को हर महीने 18 हजार रुपये देने का वादा करने के बाद केजरीवाल ने अब जाति कार्ड चला है. केजरीवाल ने आरोप लगाया कि पिछले 10 साल से भाजपा ने दिल्ली में जाटों को पिछड़ी वर्ग की सूची में शामिल नहीं कर बड़ा धोखा किया है. दिल्ली सरकार की पिछड़े वर्ग की सूची में जाट शामिल हैं, लेकिन केंद्र सरकार की पिछड़े वर्ग की सूची में दिल्ली के जाट को शामिल नहीं किया गया है.

इसके कारण दिल्ली में जाट समाज के हजारों बच्चों को दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला आरक्षण के तहत नहीं मिल पाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केजरीवाल ने केंद्र सरकार से दिल्ली के जाटों समेत सभी पिछड़े वर्ग की जातियों को केंद्रीय सूची में शामिल करने की मांग की है.  पत्र में लिखा कि 10 साल पहले केंद्र सरकार ने जाट समाज को पिछड़े वर्ग की केंद्रीय सूची में शामिल करने का वादा किया था, लेकिन इस वादे को पूरा नहीं किया गया.

वर्ष2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा के आवास पर अमित शाह ने जाट नेताओं से मुलाकात कर दिल्ली के जाट समाज को केंद्र की पिछड़े वर्ग की सूची में शामिल करने का वादा किया. लेकिन इस वादे पर कोई अमल नहीं किया गया. 

पिछड़े वर्ग को साधने की कवायद

दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में जाट मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है. यही नहीं भाजपा के पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा नयी दिल्ली सीट पर अरविंद केजरीवाल को चुनौती दे रहे हैं. प्रवेश वर्मा जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और इस वर्ग में उनका प्रभाव माना जाता है. जाट आरक्षण का दांव चलकर केजरीवाल ने जाट समुदाय को साधने की कोशिश के साथ प्रवेश वर्मा पर निशाना साधा है. प्रवेश वर्मा आम आदमी पार्टी सरकार और केजरीवाल के खिलाफ आक्रामक रहे हैं. इस बार नयी दिल्ली सीट पर भी वे पूरी ताकत से चुनाव लड़ रहे हैं. बाहरी दिल्ली के तहत आने वाले विधानसभा सीट नरेला, बवाना, मुंडका, नजफगढ़, बिजवासन, नांगलोई, पालम, द्वारका, रिठाला में जाट मतदाता हार-जीत में निर्णायक भूमिका निभाते हैं.

आप के नेता रहे कैलाश गहलोत के भाजपा में शामिल होने के बाद आम आदमी पार्टी को जाट वोट सिखकने का डर सता रहा है. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा भाजपा का जाट चेहरा हुआ करते थे और प्रवेश वर्मा उनके बेटे हैं. ऐसे में जाट मतों को साधने के लिए एक सोची समझी रणनीति के तहत केजरीवाल ने जाट आरक्षण का मुद्दा उठाया है.

केजरीवाल के पत्र पर करारा हमला करते हुए प्रवेश वर्मा ने कहा कि केजरीवाल ने पिछले 10 साल में जाट समुदाय के लिए कोई काम नहीं किया. अब चुनाव में हार को देखकर उन्हें जाट याद आ रहे हैं. केजरीवाल बताएं कि दिल्ली विधानसभा में कब पिछड़ी जातियों को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा गया. 

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