Delhi Election: मुस्लिम मतदाताओं को साधने में जुटी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी
दिल्ली में मुस्लिम मतदाता भी प्रभावी भूमिका में हैं. मुस्लिम मतदाता आम तौर पर कांग्रेस के लिए मतदान करता रहा है, लेकिन आम आदमी पार्टी के उभार के बाद मुस्लिम मतदाताओं उसके साथ जुड़ गए. लेकिन कांग्रेस को उम्मीद है कि इस बार मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव पार्टी की ओर होगा.
Delhi Election: दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दल समाज के विभिन्न तबकों को साधने में जुट गयी है. दलित, पूर्वांचली और अन्य समुदाय के मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और भाजपा रणनीति तैयार कर चुके है. वहीं दिल्ली में मुस्लिम मतदाता भी प्रभावी भूमिका में हैं. मुस्लिम मतदाता आम तौर पर कांग्रेस के लिए मतदान करता रहा है, लेकिन आम आदमी पार्टी के उभार के बाद मुस्लिम मतदाता उसके साथ जुड़ गए.
लेकिन नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन और फिर हुए दंगे के बाद मुस्लिमों का झुकाव कांग्रेस की ओर हो गया है और वर्ष 2022 में हुए नगर निगम के चुनाव में मुस्लिम बहुल इलाकों से कांग्रेस के पार्षद चुनाव जीते. लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी ने मिलकर चुनाव लड़ा और मुस्लिमों का पूरा समर्थन गठबंधन को मिला. लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस और आप का गठबंधन टूट गया और विधानसभा चुनाव में दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं.
ऐसे में देखना होगा कि इस बार विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाता कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में से किसे पसंद करता है. आम आदमी पार्टी को सपा प्रमुख अखिलेश यादव का साथ मिला है. पार्टी का मानना है कि सपा के सहयोग से मुस्लिम मतदाता कांग्रेस की बजाय आप को मतदान करेंगे.
मुस्लिम मतदाताओं का वोटिंग पैटर्न
दिल्ली में लगभग 12 फीसदी मुस्लिम मतदाता है और 8 विधानसभा सीटों पर भी मुस्लिम मतदाता हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं. बल्लीमारान, सीलमपुर, ओखला, मुस्तफाबाद, चांदनी चौक, मटिया महल, बाबरपुर, दिलशाद गार्डन और किराड़ी मुस्लिम बहुल इलाके हैं. जबकि त्रिलोकपुरी और सीमापुरी इलाके में भी मुस्लिम मतदाता काफी हैं. आम आदमी पार्टी ने पिछली बार की तरह इस बार भी पांच मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस के 21 उम्मीदवारों में तीन मुस्लिम हैं. कांग्रेस और भी मुस्लिम उम्मीदवार उतारेगी.
कई सीटों पर कांग्रेस और आप के मुस्लिम उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला होना तय है. कांग्रेस इस बार पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतर रही है और उसका जनसंपर्क अभियान जारी है. कांग्रेस मुस्लिम और दलित मतदाताओं को साधने के लिए विशेष रणनीति पर काम कर रही है. कांग्रेस को वर्ष 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में 8 सीटें मिली थी, जिनमें से चार मुस्लिम विधायक थे. लेकिन इसके बाद कांग्रेस का मुस्लिम वोट आम आदमी की ओर जाने से कांग्रेस विधानसभा में खाता भी नहीं खोल सकी.
लेकिन इस बार कांग्रेस की कोशिश मुस्लिम क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन की है. अगर ऐसा होता है, तो आम आदमी पार्टी को नुकसान होना तय है. वहीं इस बार सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी चुनाव लड़ रही है और मुस्लिम बहुल इलाकों पर पार्टी की नजर है.