Delhi Election: दिल्ली विधानसभा चुनाव में पूर्वांचली मतदाता सभी दलों के लिए अहम है. आम आदमी पार्टी जहां इसी मतदाता के बल पर सरकार पर काबिज होने में सफल रही है, वहीं लोकसभा चुनाव के दौरान इन मतदाताओं ने भाजपा का रुख करके दिल्ली के सातों सीटों पर विजय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. सभी दलों का फोकस पूर्वांचली मतदाताओं की ओर है. इसीलिए कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी पूर्वांचली मतदाता को जोड़ने में जी-जान से लगे हैं.
प्रदेश भाजपा पूर्वांचल मोर्चा दिल्ली के सभी विधानसभा क्षेत्रों में लिट्टी-चोखा पर चर्चा करायेगी. भाजपा की पूर्वाचली मतदाताओं के बीच पूरी दिल्ली में छोटी-बड़ी लगभग 1500 से ज्यादा बैठक होगी. इसके अलावा विभिन्न छठ समितियों, संस्कृति एवं धार्मिक समिति, भोजपुरी समिति, मिथिला सांस्कृतिक समिति, अंगिका समिति सहित पूर्वांचली द्वारा विभिन्न तरह के चलाये जा रहे कार्यक्रमों से भी जोड़ने का लक्ष्य रखा है.
सत्ता की चाबी पूर्वांचली वोटर के हाथ में
दिल्ली के चुनाव में लगभग डेढ़ करोड़ मतदाता हैं. इसमें से पूर्वांचली वोटरों की संख्या 40-45 लाख के आसपास है. 70 विधानसभाओं में से 17 विधानसभा पूर्वांचली बहुत है. इन विधानसभाओं में जीत हार का फैसला पूर्वांचली वोटर ही करते हैं. इन विधानसभा क्षेत्रों में पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के 40 से 50 फीसदी मतदाता है. विकासपुरी, मटियाला, द्वारका, करावल नगर, मॉडल टाउन, बुराड़ी, सीमापुरी, बादली, नागलोई, उत्तम नगर, किराड़ी, पटपड़गंज, लक्ष्मी नगर, बदरपुर, पालम, संगम विहार, राजेंद्र नगर, देवली आदि में पूर्वाचली वोटरों की संख्या अधिक है. पिछली बार इन क्षेत्रों में आप को इन मतदाताओं का समर्थन मिला था, लेकिन इस बार भाजपा आप के पूरे समीकरण को बदलने की दिशा में काम कर रही है.
भाजपा ने पूर्वांचल मोर्चा सहित पूर्वांचल के बहुत सारे नेताओं को बुलाकर इन विधानसभा क्षेत्र में तैनात भी कर दिया है, जो लोगों के घर-घर जाकर संपर्क अभियान को गति दे रहे हैं. प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 100-100 लोगों की टीम तैयार की गयी है जो सीधे मुख्यालय को रिपोर्ट कर रहे हैं. कार्यकर्ता जहां आप सरकार की योजनाओं के नाकामियों को गिना रही है, वहीं आप के पूर्वांचली नेता दिल्ली सरकार द्वारा शुरू की गयी योजनाओं से वोटरों को 10 साल में मिले लाभ काे बता रही है.