Delhi Election: फ्लोटिंग वोटर तय करेंगे कौन होगा सत्ता पर काबिज
आम आदमी पार्टी के उभार से पहले दिल्ली में कांग्रेस काफी मजबूत थी और लगातार तीन बार शीला दीक्षित के नेतृत्व में सरकार बनाने में कामयाब रही. लेकिन आम आदमी पार्टी के उभार के बाद कांग्रेस दिल्ली में कमजोर होती गयी और कांग्रेस के वोट बैंक पर आप ने कब्जा जमा लिया.
Delhi Election: दिल्ली में वर्ष 2013 के बाद पहली बार कांग्रेस एक्टिव नजर आ रही है. कांग्रेस की सक्रियता से आम आदमी पार्टी की बेचैनी बढ़ती दिख रही है. क्योंकि दिल्ली में मजबूत कांग्रेस से आप को सियासी नुकसान होना तय है. इसका अंदाजा पिछले तीन चुनावों में भाजपा, कांग्रेस और आप को मिले मत प्रतिशत से समझा जा सकता है. आम आदमी पार्टी के उभार से पहले दिल्ली में कांग्रेस काफी मजबूत थी और लगातार तीन बार शीला दीक्षित के नेतृत्व में सरकार बनाने में कामयाब रही. लेकिन आम आदमी पार्टी के उभार के बाद कांग्रेस दिल्ली में कमजोर होती गयी और कांग्रेस के वोट बैंक पर आप ने कब्जा जमा लिया.
पिछले तीन विधानसभा में पार्टियों को मिले मत-प्रतिशत के आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं. वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 24 फीसदी मत पाकर 8 सीटें, आम आदमी पार्टी 29 फीसदी मत पाकर 28 सीट और भाजपा 33 फीसदी मत पाकर 32 सीट जीतने में कामयाब रही. फिर कांग्रेस के सहयोग से आम आदमी पार्टी की सरकार बनी जो महज 49 दिन चल सकी.
कांग्रेस के कमजोर होने का फायदा आप को मिला
इसके बाद वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का मत-प्रतिशत कम होकर 9 फीसदी हो गया और पार्टी एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हो पायी. जबकि आम आदमी 54 फीसदी मत पाकर 67 सीट और भाजपा 32 फीसदी मत पाकर सिर्फ तीन सीट जीत सकी. वहीं वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 4 फीसदी मत मिले और एक बार फिर पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी. वहीं आम आदमी पार्टी 53 फीसदी मत लाकर 62 सीट और भाजपा 38 फीसदी मत लाकर 8 सीट जीतने में कामयाब रही. इन आंकड़ों से जाहिर होता है कि कांग्रेस के कमजोर होने का सीधा फायदा आम आदमी पार्टी को हुआ है, जबकि भाजपा का लगभग 33 फीसदी मत मिलते रहे हैं. इसलिए इस बार कांग्रेस की सक्रियता से आम आदमी पार्टी को सियासी नुकसान होने का डर सता रहा है.
लोकसभा चुनाव में पलट जाती है बाजी
विधानसभा चुनाव में भले ही आम आदमी को 50 फीसदी से अधिक मत मिल जाता है, लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा, कांग्रेस और आप पर पिछले तीन चुनावों से भारी पड़ रही है. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा 46 फीसदी मत लाकर सभी सात सीट जीतने में कामयाब रही. जबकि कांग्रेस को 15 फीसदी और आम आदमी पार्टी को 32 फीसदी मत मिले. वहीं वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा 56 फीसदी मत लाकर सभी सात सीट जीत गयी. वहीं कांग्रेस को 18 फीसदी और आम आदमी पार्टी को 22 फीसदी मत मिले. हालांकि वर्ष 2024 का चुनाव आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा, लेकिन फिर भी सभी सीट भाजपा जीतने में कामयाब रही.
विधानसभा और लोकसभा में पार्टियों को मिले मत में रहता है अंतर
इन आंकड़ों से पता चलता है कि विधानसभा चुनाव में आप को वोट देने वाले 10-15 फीसदी वोटर लोकसभा में भाजपा के पाले में चले जाते हैं. यही नहीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का मत प्रतिशत बढ़ जाता है. अगर कांग्रेस लोकसभा में मिले मत-प्रतिशत को विधानसभा चुनाव में हासिल कर ले तो आम आदमी पार्टी का नुकसान होना तय है. क्योंकि भाजपा के पास हमेशा से 33 फीसदी कोर वोटर्स का सहयोग मिलता रहा है. इस बार के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस की नजर ऐसे फ्लोटिंग वोटर्स पर है. इसके लिए विशेष रणनीति बनायी गयी है.