Delhi Election: दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टी अपनी तैयारी तेज कर दी है. आप आदमी पार्टी के संयोजक व पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जहां आम सभा कर दिल्ली सरकार की ओर से दिये जा रहे फ्री सेवा को लेकर जनता को बता रहे हैं, वहीं भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा प्रत्येक रात किसी ऐसे झुग्गी में बिता रहे हैं, जहां पर आम तौर पर नेता अब तक रूकते नहीं रहे हैं. जनता को रिझाने में और चुनाव में जीत मिलने पर तरह-तरह की सुविधाएं देने का ऐलान अभी से होने लगा है. आम आदमी पार्टी के साथ किसी भी तरह के गठजोड़ को न देखते हुए कांग्रेस भी अपनी तैयारी आरंभ कर दी है.
एक बूथ पर 10 कार्यकर्ताओं की तैनाती
विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्येक बूथ पर 10-10 कार्यकर्ताओं की टीम बनाने में जुटी है. इन बूथों पर यह भी देखा जा रहा है कि किन राज्य के ज्यादा लोगों की संख्या है. उस राज्य के नेता को उस टीम में जगह दी गयी है. बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बंगाल, झारखंड से आने वाले नेताओं की एक लिस्ट तैयार की गयी है, जिसे कुछ जगहों पर तैनात कर दिया गया है और कुछ जगहों पर किया जा रहा है.
इन नेताओं को अपने-अपने राज्य के मतदाताओं से संपर्क कर माहौल बनाने की जिम्मेवारी दी गयी है. उन लोगों की समस्याओं को समझ कर एक रिपोर्ट भी तैयार करने काे कहा गया है कि यदि भाजपा सत्ता में आती है तो लोगों की समस्याओं को एड्रेस करने में उसे दिक्कत का सामना न करना पड़े साथ ही उनके द्वारा चुनाव पूर्व किये जा रहे वायदे को भी पूरा किया जा सके.
आरक्षित सीटों पर भाजपा का विशेष फोकस
भाजपा आरक्षित सीटों पर विशेष फोकस कर रही है. पार्टी का मानना है कि इस बार समीकरण बदले हुए हैं. आप के कई दलित नेता भाजपा का दामन थाम चुके हैं, साथ ही दलितों का आम आदमी पार्टी से मोहभंग हुआ है. इन सीटों पर भाजपा का फोकस इस लिए भी महत्वपूर्ण है कि लोकसभा चुनाव में दिल्ली के आरक्षित 12 सीटों में से लगभग 9 सीटों पर भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहा है, लेकिन विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन कमजोर रहता है.
भाजपा भी यह मानती है कि लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर जो वोट मिलता है, वह वोट विधानसभा चुनाव में पार्टी से दूर हो जाती है. इसलिये पार्टी इस बार 25 से 30 वैसे सीटों की पहचान की है, जिस पर अनुसूचित जाति की संख्या 30 फीसदी से ज्यादा है. पिछले विधानसभा चुनाव में इन सीटों पर भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है. जबकि दिल्ली में सरकार बनाने के लिए इन वर्गों का समर्थन बहुत ही जरूरी है. अब इन सीटों पर दूसरे राज्यों के नेताओं की भी तैनाती की गयी है, ताकि इन वर्गों का समर्थन हासिल किया जा सके.