दिल्ली शराब घोटाला : मनीष सिसोदिया के खिलाफ अदालत ने ईडी की चार्जशीट पर लिया संज्ञान, समन किया जारी
प्रवर्तन निदेशालय ने मनीष सिसोदिया को दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पिछले नौ मार्च को गिरफ्तार किया था. इससे पहले, उन्हें सीबीआई ने 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था. वह इस मामले में गिरफ्तार किए गए 29वें आरोपी हैं. सीबीआई इस मामले में चार्जशीट पहले ही दाखिल कर चुका है.
नई दिल्ली : दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दाखिल पूरक आरोप पत्र पर राउज एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार संज्ञान लिया है. इसके साथ ही, अदालत ने 1 जून के लिए समन जारी किया है. मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने एक जून के पूरक आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए समन जारी किया है. मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत की अवधि पूरी होने के बाद उन्हें अदालत में पेश किया जाना है.
ईडी ने चार मई को दाखिल किया था पूरक चार्जशीट
मीडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ ईडी ने पिछली चार मई को अदालत में पूरक आरोप पत्र दाखिल किया था. आरोप है कि मनीष सिसोदिया को इन गतिविधियों से करीब 622 करोड़ रुपये की कमाई हुई है. पूरक आरोप पत्र विशेष लोक अभियोजक नवीन कुमार मट्टा ने दायर किया था. ईडी ने करीब 2100 से अधिक पन्नों का पूरक चार्जशीट दाखिल किया है.
हाईकोर्ट से जमानत याचिका खारिज
प्रवर्तन निदेशालय ने मनीष सिसोदिया को दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पिछले नौ मार्च को गिरफ्तार किया था. इससे पहले, उन्हें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था. वह इस मामले में गिरफ्तार किए गए 29वें आरोपी हैं. सीबीआई इस मामले में चार्जशीट पहले ही दाखिल कर चुका है. हाईकोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई के मामले में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी जमानत हाईकोर्ट में लंबित है. मनीष सिसोदिया ने दिल्ली हाईकोर्ट में नियमित और अंतरिम याचिका दाखिल की है.
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जमानत मिलने से गवाह होंगे प्रभावित
दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि उन्होंने 18 विभागों के साथ उपमुख्यमंत्री का पद संभाला है और गवाहों के प्रभावित होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. अदालत ने कहा कि दलीलों के मद्देनजर आरोप बहुत गंभीर प्रकृति के हैं कि आबकारी नीति ‘साउथ ग्रुप’ के इशारे पर उन्हें अनुचित लाभ देने के लिए गलत इरादे से बनाई गई थी. इस तरह के कृत्य याचिकाकर्ता के कदाचार की ओर इशारा करते हैं जो वास्तव में एक लोक सेवक था और बेहद उच्च पद पर आसीन था.