Delhi Excise Policy Case: सीएम अरविंद केजरीवाल को कोर्ट से झटका, 12 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेजा
Delhi Excise Policy Case: दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. कोर्ट ने उन्हें 12 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया.
Delhi Excise Policy Case: दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन के मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और विनोद चौहान की न्यायिक हिरासत 12 जुलाई तक बढ़ा दी है. उनकी पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) के जरिए होगी.
एक अन्य मामले में केजरीवाल की याचिका पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
पीएमएलए मामले में दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है, जिसमें मेडिकल बोर्ड द्वारा परामर्श के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपनी पत्नी की मौजूदगी की मांग की गई है. केजरीवाल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया और उन्होंने कोर्ट को संबोधित किया. कोर्ट 6 जुलाई को अपना आदेश सुनाएगी.
केजरीवाल ने भ्रष्टाचार से जुड़े सीबीआई के मामले में जमानत के लिए हाई कोर्ट का रुख किया
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट का रुख कर कथित आबकारी नीति घोटाले के सिलसिले में सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में जमानत का अनुरोध किया है. आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक को 26 जून को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज धन शोधन मामले के सिलसिले में केजरीवाल वहां अब भी न्यायिक हिरासत में हैं. उन्होंने सीबीआई के मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी और याचिका हाई कोर्ट में लंबित है.
ईडी ने केजरीवाल को 21 मार्च को किया था गिरफ्तार
अरविंद केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था और उन्हें 20 जून को अधीनस्थ अदालत ने धन शोधन मामले में जमानत दी थी. हालांकि, अधीनस्थ अदालत के आदेश पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी. दिल्ली के उपराज्यपाल ने आबकारी नीति तैयार करने और इसके क्रियान्वयन में कथित अनियमितता व भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच का आदेश दिया था, जिसके बाद इस नीति को रद्द कर दिया गया था. सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति में संशोधन करने के दौरान अनियमितता बरती गई और लाइसेंस धारकों को अनुचित फायदा पहुंचाया गया.