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Delhi Flood: यमुना फिर उफान पर, दिल्ली पर मंडराया बाढ़ का खतरा

हथिनीकुंड बैराज से एक बार फिर से दो लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. जिससे दिल्ली पर फिर से बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. इधर संभावित खतरे को देखते हुए दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार अलर्ट पर है.

दिल्ली पर एक बार फिर से बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. ऐसा इसलिए क्योंकि यमुना एक बार फिर से उफान पर है. रविवार को सुबह जो रिकॉर्ड दर्ज की गयी है, उसके अनुसार यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच चुका है. 205.81 मीटर दर्ज किया गया है.

हथिनीकुंड बैराज से फिर छोड़ा गया पानी

हथिनीकुंड बैराज से एक बार फिर से दो लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. जिससे दिल्ली पर फिर से बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. इधर संभावित खतरे को देखते हुए दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार अलर्ट पर है. दिल्ली की वित्त मंत्री आतिशी ने कहा कि हथिनीकुंड बैराज से यमुना नदी में दो लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़े जाने के कारण बाढ़ के खतरे के मद्देनजर दिल्ली सरकार हाई अलर्ट पर है. मंत्री ने एक बयान में कहा, यदि नदी के जलस्तर में 206.7 मीटर तक की वृद्धि होती है तो यमुना खादर (बाढ़ के मैदान) के कुछ हिस्से जलमग्न हो सकते हैं, लेकिन सरकार वहां से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिये तैयार है. आतिशी ने कहा कि बाढ़ के खतरे के मद्देनजर बाढ़ प्रभावित इलाकों में नियमित रूप से घोषणा की जा रही है. राहत शिविरों का निरीक्षण तथा लोगों के वहां लोगों को ठहराने की तैयारी की गयी है.

शनिवार को बैराज का जल प्रवाह दर 2.5 लाख क्यूसेक रही

केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के आंकड़ों के अनुसार, यमुनानगर स्थित हथिनीकुंड बैराज में जल प्रवाह की दर सुबह 10 बजे से शाम चार बजे के बीच दो लाख से 2.5 लाख क्यूसेक के बीच रही.

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नोएडा में हिंडन नदी का जलस्तर बढ़ने से निचले इलाकों में कई घर डूबे

नोएडा में हिंडन नदी का जलस्तर बढ़ने से शनिवार को निचले इलाकों में कई घर डूब गए. पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को लेकर अलर्ट जारी किया. अतिरिक्त पुलिस आयुक्त सुरेशराव कुलकर्णी ने कहा, एहतियात के तौर पर लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है. फिलहाल स्थिति सामान्य है और हम जल स्तर की निगरानी कर रहे हैं और इसके बारे में जागरूकता फैला रहे हैं.

दिल्ली के कुछ हिस्से पिछले एक सप्ताह से जलभराव और बाढ़ से जूझ रहे

दिल्ली के कुछ हिस्से पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से जलभराव और बाढ़ से जूझ रहे हैं. शुरुआत में, आठ और नौ जुलाई को अत्यधिक बारिश से भारी जलभराव हुआ और इन दो दिनों में शहर में मासिक कोटे की 125 प्रतिशत बारिश हुई. इस बीच यमुना नदी के हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा समेत ऊपरी जलग्रहण इलाकों में भारी बारिश से जलस्तर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. जल के बहाव ने तटबंधों को तोड़ दिया और चार दशकों की तुलना में शहर के काफी अंदर तक घुस गया. दिल्ली में बाढ़ के परिणाम विनाशकारी रहे हैं, शहर में 27,000 से अधिक लोगों को उनके घरों से निकाला गया. संपत्ति, व्यवसाय और कमाई के मामले में नुकसान का आंकड़ा करोड़ों तक पहुंच गया है. विशेषज्ञों के मुताबिक, दिल्ली में भीषण बाढ़ का कारण यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र पर अतिक्रमण, थोड़े समय के भीतर ज्यादा बारिश और गाद जमा होना है.

भारी बारिश के कारण बढ़ा हथिनीकुंड बैराज का जलस्तर

पंजाब और हरियाणा के कई हिस्सों में पिछले 24 घंटे से हो रही बारिश की वजह से शनिवार को हथिनीकुंड बैराज के जलस्तर में तेजी से वृद्धि देखी गई. जलसंग्रहण क्षेत्र में भारी बारिश की वजह ये यमुनानगर स्थित हथिनीकुंड बैराज में शनिवार सुबह आठ बजे जल प्रवाह दर 87,177 क्यूसेक था जो दोपहर 12 बजे बढ़कर 2,40,832 क्यूसेक के स्तर पर पहुंच गया. मौसम विभाग के मुताबिक शनिवार सुबह साढ़े आठ बजे समाप्त हुए 24 घंटे की अवधि में हरियाणा के अंबाला में 14.4 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई जबकि रोहतक और कुरुक्षेत्र में क्रमश: 14.2 मिमी और 12 मिमी बारिश हुई. मौसम विभाग के मुताबिक हरियाणा के पंचकूला में सबसे अधिक 71.5 मिलीमीटर बारिश इस अवधि में हुई. पड़ोसी पंजाब में रूपनगर का वह स्थान रहा जहां सबसे अधिक 34 मिमी बारिश दर्ज की गई. राज्य के अमृतसर, गुरदासपुर और फतेहगढ़ में क्रमश: 32.6 मिमी, 32.8 मिमी और 25.5 मिमी बारिश दर्ज की गई. मौसम विभाग ने बताया कि दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में गत 24 घंटे के दौरान 53 मिमी बारिश हुई.

यमुना ने इस साल तोड़े सारे रिकॉर्ड

13 जुलाई के बाद, यमुना 208.66 मीटर के सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद धीरे-धीरे कम हो रही थी, लेकिन पिछले दो-तीन दिनों में जल स्तर में मामूली उतार-चढ़ाव हुआ है. आठ दिनों तक सीमा से ऊपर बहने के बाद 18 जुलाई की रात 8 बजे जलस्तर खतरे के निशान से नीचे आ गया. 10 जुलाई को शाम 5 बजे नदी खतरे के निशान को पार कर गई, जिससे राष्ट्रीय राजधानी में व्यापक बाढ़ आ गई. नदी का जलस्तर बढ़ने से दिल्ली में कई जगह जलभराव और बाढ़ जैसी स्थिति से जूझना पड़ा.

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